Phantom Vibration Syndrome : परिवार, दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच बैठकर क्या आपको भी अचानक ऐसा अहसास होता है कि पॉकेट में फोन बज रहा है या वाइब्रेट हो रहा है, जबकि न तो कोई कॉल आ रहा होता न ही कोई मैसेज।
Phantom Vibration Syndrome : परिवार, दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच बैठकर क्या आपको भी अचानक ऐसा अहसास होता है कि पॉकेट में फोन बज रहा है या वाइब्रेट हो रहा है, जबकि न तो कोई कॉल आ रहा होता न ही कोई मैसेज। अधिकतर लोगों को काम के बीच, नींद के समय या थोड़ी-थोड़ी देर में ऐसा आभास होता है कि उनका फोन बज रहा है। इस कारण वे बार-बार अपना फोन चेक करते रहते हैं।
फोन नहीं बजने पर भी उन्हें रिंगटोन सुनाई देती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इसे ‘Phantom Vibration Syndrome’ कहते है। इसमें व्यक्ति फोन से बिल्कुल भी दूर नहीं रह पाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की 2024 की रिपोर्ट्स के अनुसार ‘Phantom Vibration Syndrome’ के कारण लोगों में एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety disorder) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इस अवस्था को टैक्टाइल हेलुसिनेशन कहते है, यानी ऐसी चीज को महसूस करना, जो असल में होती ही नहीं है। फोन का अधिक इस्तेमाल और उस पर बढ़ रही निर्भरता के कारण लोग इस सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं। यह संया लगातार बढ़ रही है। ऐसी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
झोटवाड़ा निवासी 19 वर्षीय छात्रा ने बताया कि कोरोना के समय उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज ली थी। क्लासेज के अलावा भी मोबाइल में वेब सीरीज देखना, लगातार दोस्तों से वीडियो कॉल्स पर बातचीत करना, रील्स बनाना इन सब के कारण फोन की काफी आदत हो गई। फोन नहीं आने पर भी बार-बार वे फोन चेक करती थी। हर वक्त सोशल मीडिया पर मैसेज आया या नहीं ये चेक करती थी। इस समस्या से निजात पाने के लिए अब थैरपी ले रही है।
25 वर्षीय काम काजी महिला ने बताया कि उन्हें फोन की इस प्रकार लत लगी, कि वे काम के बीच में भी अपने फोन के बारे में ही सोचती रहती है। सोशल पार्टिज में भी उनका ध्यान केवल फोन में ही लगा रहता था। इस कारण लोगों से उनका जुड़ाव कम होता गया। नींद में भी उन्हें ऐसा अहसास होता था, कि फोन आ रहा है। उन्हें ‘इमोशनल डिस्टर्बेंस’ से गुजरना पड़ा।
चिकित्सकाें का कहना है कि अस्पतालों के आउटडोर में रोजाना ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें लोगों को पहले केवल फोन आने का आभास होता था, लेकिन इस विकार ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। उन्हें ओवर विजलेंस की समस्या होने लगी, यानी ऐसी बीमारी जिसमें छोटी-छोटी आवाजें जैसे (घड़ी, फ्रिज या कोई भी अन्य वाइब्रेशन) का सुनाई देना शामिल है।
आज-कल काम के अलावा चाहे फ्री टाइम हो, खाने का वक्त हो या सोने का समय हो अधिकतर लोगों से फोन नहीं छूटता है। चार्जिंग के दौरान भी वे बीच-बीच में फोन देखते हैं, कार ड्राइव के समय मैसेज चेक करते रहते हैं। मैसेज नहीं आने पर भी लगातार फोन चेक करते हैं। ऐसे में उनमें फेंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम (Phantom Vibration Syndrome) विकसित हो जाता है। कॉल या मैसेज नहीं आने पर अधिकतर लोगों को एक अजीब सी बेचैनी होने लगती है। बढ़ती फोन की लत के कारण अधिकतर लोग इस सिंड्रोम के शिकार हो रहे हैं।
रोमा चेलानी , मनोरोग चिकित्सक