Brain-eating amoeba: ब्रेन ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) नाक के रास्ते दिमाग में जाकर जानलेवा संक्रमण फैलाता है। जानिए क्या यह मरीज को छूने से फैलता है और इससे बचाव के 10 अहम तथ्य।
Brain-eating Amoeba Facts: केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का तांडव देखने को मिल रहा है। इसे “ब्रेन ईटिंग अमीबा” (Naegleria fowleri) भी कहा जाता है। इस बीमारी के चलते अब तक वहां 19 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 120 लोग इस बीमारी के चपेट में आ चुके हैं। यह सुनने में जितना खतरनाक है, उतना ही ज्यादा यह जानलेवा भी है। स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो इससे संक्रमित होने वाले 95% लोगों की मौत हो जाती है। इसका इलाज बेहद मुश्किल है।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये बीमारी कैसे फैलती है। दरअसल यह अमीबा नाक के रास्ते दिमाग में पहुंचकर गंभीर संक्रमण (Primary Amoebic Meningoencephalitis) का कारण बनती है। यह बीमारी गंदे पानी में नहाने की वजह से हो सकती है। तो आइए आज आपको इससे जुड़ें 10 बाते बताने वाले हैं। जिसको लेकर लोगों में भ्रम है।
Naegleria fowleri मुख्य रूप से गंदे या खारे पानी, गर्म झील, पूल या नदियों से नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करती है। पीने के पानी से यह शरीर में नहीं जाती।
इस अमीबा का संक्रमण व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं होता। मरीज को छूने या उसके सामान को इस्तेमाल करने से कोई खतरा नहीं है।
संक्रमण के लक्षण तेज बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी और गर्दन में अकड़न से शुरू होते हैं। जैसे ही ये लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
नाक से दिमाग में पहुंचने के बाद यह तेजी से बढ़ता है। संक्रमित व्यक्ति का इलाज देर होने पर मुश्किल हो सकता है।
पाइपलाइन, बोतलबंद पानी और फिल्टर वाले पानी से संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है।
गर्म झील, नहर या पूल में लंबे समय तक तैरने पर जोखिम बढ़ता है।
तैरते समय नाक में पानी जाने से बचने के लिए नोज़ क्लिप का इस्तेमाल करें।
घर और बच्चों के खेलने की जगह की स्वच्छता रखें। गंदे पानी से संपर्क कम करें।
जल्दी पहचान और इलाज से बचाव संभव है। हालांकि, यह संक्रमण दुर्लभ है, पर गंभीर है।
सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से डरें नहीं। मरीज को छूने, हाथ मिलाने या सामान्य बातचीत से यह संक्रमण नहीं फैलता।