Breast Size and Cancer : स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाला सबसे आम तरह का कैंसर है। उच्च मृत्यु दर के साथ यह वर्तमान में देश में स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ है।
Breast Size and Cancer : स्तन कैंसर, जो महिलाओं में सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है, भारत में तेजी से बढ़ रहा है और यह स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। अक्टूबर माह को स्तन कैंसर(Breast Cancer) जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी से बचने के उपायों और समय पर जांच के महत्व के प्रति जागरूक करना है।
डॉ. नितिन एस.जी, जो दिल्ली के सी.के. बिरला अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सलाहकार हैं, ने स्तन कैंसर (Breast Cancer) से संबंधित कई भ्रांतियों पर प्रकाश डाला और इसके जोखिम को कम करने के तरीकों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
डॉ. नितिन ने बताया कि स्तन का बड़ा आकार (Large breast size) और स्तन कैंसर (Breast Cancer) के बीच संबंध को लेकर कई भ्रांतियां हैं। 1990 के दशक में किए गए कुछ अध्ययनों ने यह संकेत दिया था कि बड़े स्तन वाली महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) का जोखिम अधिक हो सकता है। इस कारण से कई महिलाओं में भय और चिंता उत्पन्न हुई।
हालांकि, हाल के अध्ययनों और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, स्तन के आकार को स्तन कैंसर (Breast Cancer) के जोखिम का मुख्य कारण नहीं माना गया है। इसके बजाय, मोटापा (विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में) को स्तन कैंसर के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में देखा जाता है।
एक और आम भ्रांति यह है कि स्तन सर्जरी कराने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर (Breast Cancer) होने का खतरा होता है। डॉ. नितिन ने इस मिथक को खारिज करते हुए बताया कि अध्ययन यह दर्शाते हैं कि स्तन सर्जरी कराने से स्तन कैंसर का कोई सीधा संबंध नहीं है। ऐसे में महिलाओं को इस प्रकार की भ्रांतियों से घबराने की आवश्यकता नहीं है।
स्तन कैंसर (Breast Cancer) के जोखिम को कम करने के लिए, डॉ. नितिन ने महिलाओं को संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और वजन को नियंत्रित रखने की सलाह दी। मोटापा स्तन कैंसर के मुख्य जोखिम कारकों में से एक है, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से स्तन कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
स्तन कैंसर (Breast Cancer) के मामलों का शुरुआती चरण में पता लगाना इलाज को अधिक प्रभावी बनाता है। मैमोग्राफी एक मानक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद करता है और मृत्यु दर को कम करने में सहायक है। 2024 में अपडेट किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार, 40 वर्ष की आयु से हर दो साल में मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है।
हाल ही में जारी आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2045 तक स्तन कैंसर के मामलों में और वृद्धि की आशंका है। वर्ष 2022 में, भारत में सभी महिला कैंसरों में 28.2 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के रहे। भारत में स्तन कैंसर से जूझ रही महिलाओं की 5 साल की जीवित रहने की दर 66.4 प्रतिशत है, जो बेहतर जागरूकता और समय पर जांच से सुधर सकती है।
स्तन कैंसर (Breast Cancer) को लेकर सही जानकारी, समय पर स्क्रीनिंग और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति सचेत रहने और किसी भी असामान्य लक्षण पर डॉक्टर से संपर्क करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।