Cancer Vaccine In India : रूस की पहली mRNA कैंसर वैक्सीन Enteromix पर भारत के डॉक्टरों की राय सामने आई है। शुरुआती नतीजे उत्साहजनक हैं, लेकिन भारतीय मरीजों तक पहुंचने से पहले इसे कड़े ट्रायल और मंजूरी से गुजरना होगा।
Cancer Vaccine In India : भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इलाज की बढ़ती लागत लोगों के लिए बड़ी चिंता बनी हुई है। इसी बीच रूस से एक नई खबर आई है, जिसने मरीजों और डॉक्टरों दोनों की उम्मीदें जगा दी हैं। रूस की Federal Medical-Biological Agency (FMBA) ने हाल ही में अपनी पहली mRNA-आधारित कैंसर वैक्सीन Enteromix के शुरुआती नतीजे साझा किए हैं।
जानकारी के मुताबिक, यह वैक्सीन खासतौर पर कोलोरेक्टल कैंसर यानी आंत के कैंसर के लिए बनाई गई है। शुरुआती ट्रायल में इसे 100% असरदार बताया गया है और अब इसे ग्लियोब्लास्टोमा (brain cancer) और मेलानोमा (skin cancer) पर भी परखा जा रहा है। अच्छी बात यह है कि अब तक किसी गंभीर साइड इफेक्ट की रिपोर्ट नहीं आई है।
यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है, जिसे COVID-19 वैक्सीन में भी इस्तेमाल किया गया था। खास बात यह है कि यह हर मरीज के RNA प्रोफाइल के हिसाब से बनाई जाती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए ट्रेन करती है।
भारत के डॉक्टर इस विकास को उत्साहजनक तो मान रहे हैं, लेकिन साथ ही सावधानी बरतने की सलाह भी दे रहे हैं। कैंसर सर्जन डॉक्टर जयेश शर्मा ने पत्रिका के साथ बातचीत में बताया कि रूस का mRNA-आधारित कैंसर वैक्सीन Enteromix को तैयार बताया जा रहा है। लेकिन दोनों ही अभी अपने शुरूआती स्तर पर है। इस वैक्सीन को भारत में ट्रीटमेंट के लिए यूज करना जल्दबाजी होगी। आगे उन्होंने बताया कि भारत में तो कोई ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ। जब तक बड़े और पारदर्शी ट्रायल नहीं होते, इसे सुरक्षित और असरदार मानना मुश्किल है
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने आउटलुक के साथ बातचीत में बताया कि नतीजे शुरुआती तौर पर अच्छे लग रहे हैं, लेकिन यह एक पर्सनलाइज्ड वैक्सीन है जिसे हर मरीज के लिए अलग से तैयार करना होगा। जब तक बड़े स्तर पर ट्रायल नहीं होते और डेटा सामने नहीं आता, इसे लेकर अंतिम निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।
एम्स दिल्ली के डॉ. अधीप अरोड़ा ने आउटलुक के साथ बातचीत में बताया कि अभी तक इंसानी ट्रायल बहुत सीमित स्तर पर हुए हैं और पीयर-रिव्यू भी नहीं हुआ है। भारत में तो कोई ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ। जब तक बड़े और पारदर्शी ट्रायल नहीं होते, इसे सुरक्षित और असरदार मानना मुश्किल है।
भारत में किसी विदेशी वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए DCGI (Drugs Controller General of India) और CDSCO की स्वीकृति जरूरी होती है। आमतौर पर भारत में लोकल ट्रायल करवाए बिना दवा को बाजार में नहीं उतारा जा सकता, और रूस उन देशों की सूची में शामिल नहीं है जिनकी दवाओं को सीधे मंजूरी मिलती है। इसलिए भारत में इसके आने में समय लग सकता है।