PCOS and pregnancy : पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक सामान्य हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं के प्रजनन वर्षों में प्रमुखता से देखा जाता है। किशोरावस्था से शुरू होने वाला यह विकार हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म, उच्च एस्ट्रोजन स्तर और अंडाशयों में सिस्ट बनने जैसी समस्याओं से जुड़ा होता है।
PCOS and pregnancy :पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं के बीच एक सामान्य हार्मोनल विकार है, जो उनके प्रजनन वर्षों के दौरान अधिक देखा जाता है। अक्सर किशोरावस्था से शुरू होने वाला यह विकार हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म चक्र, उच्च एस्ट्रोजन स्तर और अंडाशय में सिस्ट बनने जैसी समस्याओं से जुड़ा होता है। इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और समय के साथ बदल सकते हैं, जिससे इसे समझना और प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
PCOS के कारण गर्भधारण (Pregnancy) में कठिनाई हो सकती है। हार्मोनल असंतुलन के कारण ओव्यूलेशन (अंडों के विकास और अंडाशय से निकलने की प्रक्रिया) में बाधा आती है। हालांकि पीसीओएस के कारण होने वाला बांझपन सामान्य और उपचार योग्य होता है, लेकिन आहार, व्यायाम, दवाओं और कभी-कभी सर्जरी के माध्यम से इसे नियंत्रित करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है।
PCOS से ग्रसित महिलाओं की गर्भावस्था (Pregnancy) में जटिलताएँ बढ़ सकती हैं, जिसके लिए माँ और बच्चे दोनों की गहन निगरानी की आवश्यकता होती है। डॉ. पूर्णिमा सिंह के अनुसार, पीसीओएस से प्रभावित माताओं के बच्चों में समय से पहले जन्म, बड़े आकार का होना, गर्भपात और कम अपगर स्कोर जैसी समस्याओं का खतरा अधिक होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पीसीओएस से प्रभावित 70% महिलाएँ निदान नहीं करा पातीं। इस विकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने से प्रभावित महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता मिल सकती है। हालाँकि PCOS अनुवांशिक रूप से विरासत में मिलता है, पर्यावरणीय कारक भी इसकी संवेदनशीलता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पीसीओएस न केवल गर्भधारण (Pregnancy) में बाधा डालता है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान भी कई जटिलताएँ उत्पन्न कर सकता है। उचित निदान और समय पर उपचार से गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है। PCOS से ग्रसित महिलाओं के लिए आवश्यक है कि वे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें और विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लें।