Menopause : अध्ययन में पाया गया है कि 40 साल की उम्र से पहले मेनोपॉज (menopaus) का सामना करने वाली महिलाओं में कम उम्र में मृत्यु का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि, हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Hormone replacement therapy) से इस खतरे को कम किया जा सकता है.
अध्ययन में पाया गया है कि 40 साल की उम्र से पहले मीनोपॉज (Menopause) का सामना करने वाली महिलाओं में कम उम्र में मृत्यु का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि, हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Hormone replacement therapy) की मदद से इस जोखिम को कम किया जा सकता है.
आमतौर पर महिलाओं को 45 से 55 की उम्र के बीच मीनोपॉज (Menopause) होता है, लेकिन करीब 1% महिलाओं को 40 साल की उम्र से पहले ही मीनोपॉज (Menopause) का सामना करना पड़ता है. इसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज (Premature menopause) या प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफीसिएंसी (POI) कहते हैं. इससे दिल की बीमारी (Heart disease) जैसी लंबे समय तक चलने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.
अध्ययन में वैज्ञानिकों को अभी तक यह नहीं पता चला है कि आखिर ऐसा क्यों होता है, लेकिन यह खुद-ब-खुद भी हो सकता है और कुछ इलाजों का नतीजा भी हो सकता है, जैसे कीमोथेरेपी या सर्जरी के दौरान ओवरी निकालना.
फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ओउलू के शोधकर्ताओं ने 1988 से 2017 के बीच हुई इस बीमारी से ग्रस्त 5817 महिलाओं पर अध्ययन किया. इनकी तुलना उन 22,859 महिलाओं से की गई जिन्हें POI नहीं था.
नतीजों में सामने आया कि जिन महिलाओं को बिना किसी कारण (स्पॉन्टेनियस) प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफीसिएंसी हुआ, उनमें किसी भी कारण से या दिल की बीमारी से मरने का खतरा दोगुना से ज्यादा था. वहीं, कैंसर से मरने का खतरा चार गुना से भी ज्यादा था.
लेकिन अच्छी बात ये है कि जो महिलाएं छह महीने से ज्यादा समय से हॉर्मोन रिप्लेसमेंट (Hormone replacement therapy ) थेरेपी ले रहीं थीं, उनमें हर तरह के कारणों और कैंसर से होने वाली मौतों का खतरा आधा हो गया. साथ ही, जिन महिलाओं के मीनोपॉज का कारण सर्जरी था, उनमें जल्दी मृत्यु का कोई खतरा नहीं पाया गया.
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Hormone replacement therapy) एक प्रकार का उपचार है जो उन महिलाओं को दिया जाता है जिनके शरीर अब पर्याप्त एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन नहीं करते हैं. आमतौर पर रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद ऐसा होता है, लेकिन यह अन्य कारणों से भी हो सकता है, जैसे कि अंडाशय निकालना या कैंसर का इलाज.
अध्ययन में शामिल रिसर्चर डॉ हिला हापाकोस्की का कहना है कि "हमारे नतीजे बताते हैं कि बिना किसी कारण प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफीसिएंसी से ग्रस्त महिलाओं के स्वास्थ्य पर खास ध्यान देने की जरूरत है ताकि जल्दी मौत के खतरे को कम किया जा सके."