स्वास्थ्य

High blood sugar से प्रभावित हो सकता है गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य

High blood sugar pregnancy : मां बनना हर महिला का सबसे सुंदर सपना होता है, लेकिन यह सफर सिर्फ खुशियों से नहीं, बल्कि कई चुनौतियों से भी भरा होता है। गर्भावस्था के नौ महीनों में मां को न केवल अपनी सेहत का ख्याल रखना होता है

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Dec 07, 2024
High blood sugar pregnancy

High blood sugar pregnancy : हर महिला के लिए मां बनना जीवन का सबसे खास अनुभव होता है। लेकिन यह सफर सिर्फ खुशियों से नहीं, बल्कि कई चुनौतियों से भी भरा होता है। गर्भावस्था के दौरान मां के खानपान, जीवनशैली और स्वास्थ्य का सीधा असर गर्भस्थ शिशु के विकास पर पड़ता है। इनमें से एक प्रमुख चुनौती है अनियंत्रित मधुमेह।

अनियंत्रित मधुमेह से जुड़ी समस्याएं Problems associated with uncontrolled diabetes

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था में अनियंत्रित मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) कई जटिलताओं का कारण बन सकता है।

असामान्य रूप से बड़े शिशु का जन्म: उच्च ब्लड शुगर लेवल के कारण शिशु का आकार सामान्य से बड़ा हो सकता है, जिससे डिलीवरी के दौरान जटिलताएं बढ़ सकती हैं।

स्वास्थ्य समस्याएं: शिशु को जन्म के बाद ब्लड शुगर, मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भपात और जन्म दोष: पहली तिमाही में अनियंत्रित मधुमेह से गर्भपात और शिशु में हृदय या तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।

पोषण की कमी और अन्य कारण

डॉ. गरिमा साहनी, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान मां का असंतुलित आहार शिशु के विकास को प्रभावित कर सकता है। शिशु को विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे उसकी ग्रोथ रुक सकती है।

धूम्रपान और शराब: गर्भवती महिला का धूम्रपान और शराब का सेवन शिशु के विकास को धीमा कर सकता है।
तनाव और उच्च रक्तचाप: तनाव और हाई बीपी भी शिशु के रक्त प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे उसके विकास में रुकावट आ सकती है।

आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार

डॉ. मौलश्री गुप्ता, सीके बिरला अस्पताल की फीटल मेडिसिन विशेषज्ञ, बताती हैं कि भ्रूण का विकास एक जटिल प्रक्रिया है, जो आनुवांशिक कारकों पर भी निर्भर करती है। उच्च रक्तचाप के कारण प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह कम हो सकता है, जिससे शिशु तक ऑक्सीजन और पोषण पहुंचने में कमी होती है।

सावधानियां और समाधान

अगर गर्भवती महिला अनियंत्रित मधुमेह या अन्य समस्याओं से जूझ रही है, तो उसे तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

नियमित जांच: अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच के माध्यम से शिशु के विकास का सही आकलन किया जा सकता है।

स्वस्थ आहार और व्यायाम: संतुलित आहार और नियमित व्यायाम न सिर्फ मां, बल्कि शिशु के लिए भी लाभकारी होते हैं।

तनाव प्रबंधन: ध्यान और योग जैसी गतिविधियां तनाव को कम करने में मददगार हो सकती हैं।

गर्भावस्था में मां के स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव शिशु के विकास पर पड़ता है। अनियंत्रित मधुमेह, पोषण की कमी और तनाव जैसी समस्याओं से बचने के लिए समय पर सही कदम उठाना जरूरी है। स्वस्थ मां ही एक स्वस्थ और मजबूत शिशु को जन्म दे सकती है।

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