Pfizer COVID 19 Vaccine : करोड़ों लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाई लेकिन अब एक नई रिसर्च सामने आई है। तुर्की के वैज्ञानिकों का दावा है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन से हमारी आंखों की सेहत पर असर पड़ सकता है।
Pfizer COVID 19 Vaccine : कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन हम सबकी ढाल बनी। करोड़ों लोगों ने इसे लगवाया ताकि हम इस महामारी से सुरक्षित रह सकें। लेकिन अब एक नई रिसर्च सामने आई है जो थोड़ी चिंता बढ़ा सकती है। तुर्की के कुछ वैज्ञानिकों ने फाइजर की कोरोना वैक्सीन को लेकर एक ऐसी बात कही है जो हमारी आंखों की सेहत से जुड़ी है। क्या वाकई हमारी आंखें जिनसे हम दुनिया देखते हैं, इस वैक्सीन से प्रभावित हो सकती हैं?
हाल ही में ऑप्थेल्मिक एपिडेमियोलॉजी नाम के एक बड़े जर्नल में यह रिसर्च छपी है। तुर्की के वैज्ञानिकों ने 64 ऐसे मरीजों की आंखों की गहराई से जांच की जिन्हें फाइजर वैक्सीन (Pfizer COVID 19 Vaccine) की दोनों डोज लगी थीं। उन्होंने वैक्सीन लगने से पहले और बाद में आंखों के बदलावों को परखा।
नतीजे थोड़े हैरान करने वाले थे। हालांकि किसी को तुरंत दिखना बंद नहीं हुआ लेकिन वैक्सीन लगने के बाद आंख के अगले हिस्से जिसे कॉर्निया कहते हैं, उसकी मोटाई बढ़ गई। सामान्य तौर पर कॉर्निया 528 माइक्रोमीटर मोटा होता है जो वैक्सीन के बाद बढ़कर 542 माइक्रोमीटर हो गया यानी करीब 2% ज्यादा।
इससे भी बड़ी बात यह हुई कि एंडोथेलियल कोशिकाओं की संख्या घट गई। ये कोशिकाएं कॉर्निया को साफ रखने में मदद करती हैं। इनकी संख्या 2,597 से घटकर 2,378 हो गई, जो लगभग 8% की कमी है। ये कोशिकाएं मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखती हैं। इनकी संख्या में कमी और आकार में बदलाव यह दिखाता है कि कोशिकाएं शायद किसी तनाव या सूजन से गुजर रही हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिनकी आनखें स्वस्थ हैं उन्हें शायद इन छोटे बदलावों से तुरंत कोई परेशानी न हो। लेकिन जिन्हें पहले से ही आंखों से जुड़ी कोई दिक्कत है या जिनकी आंखों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुआ है उनके लिए ये बदलाव भविष्य में कॉर्निया में सूजन या धुंधला दिखने का कारण बन सकते हैं। यह बात उन लाखों लोगों के लिए अहम है जो पहले से ही आंखों की बीमारियों से जूझ रहे हैं।
घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने फिलहाल टीकाकरण रोकने को नहीं कहा है। उनका कहना है कि जिन लोगों की आंखें पहले से कमजोर हैं, उन पर नजर रखने की जरूरत है। उनका मानना है कि ये बदलाव शायद अस्थायी हों और समय के साथ ठीक हो जाएं।
हालांकि, उन्होंने यह भी चेताया है कि जिन लोगों में एंडोथेलियल कोशिकाओं की संख्या कम है या जिनका कॉर्निया ग्राफ्ट हुआ है उनकी आनखों की लगातार जांच होती रहनी चाहिए खासकर अगर भविष्य में कोई और रिसर्च लंबे समय तक के नुकसान की पुष्टि करती है।
Covid-19 संक्रमित का नया लक्षण
यह रिसर्च mRNA वैक्सीन (जिसमें फाइजर भी शामिल है) के कुछ दुर्लभ साइड इफेक्ट्स, जैसे मायोकार्डिटिस (दिल की मांसपेशियों में सूजन) और पेरिकार्डिटिस (दिल के चारों ओर की परत में सूजन) खासकर युवा पुरुषों से जुड़ी मौजूदा चिंताओं को भी बढ़ाती है।
वैज्ञानिकों ने साफ किया है कि इन बदलावों का वैक्सीन से सीधा संबंध होने की संभावना बहुत ज्यादा है। अब शोधकर्ता उन लोगों पर नजर रखेंगे जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है, ताकि पता चल सके कि ये शुरुआती बदलाव समय के साथ बढ़ते हैं या ठीक हो जाते हैं।
यह रिसर्च हमें बताती है कि विज्ञान हमेशा नई चीजें सीखता रहता है। किसी भी नई दवा या वैक्सीन के पूरे असर को समझने में समय लगता है। इसलिए हमें इन रिसर्च को गंभीरता से लेना चाहिए लेकिन बिना घबराए विशेषज्ञों की सलाह माननी चाहिए और अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहिए। अगर वैक्सीन के बाद आपको अपनी आंखों में कोई असामान्य बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।