Artificial Heart : दुनिया में पहली बार : अमरीकी वैज्ञानिकों का बड़ा कारनामा, हार्ट ट्रांसप्लांट में उम्मीद की नई किरण आठ दिन टाइटेनियम से बने कृत्रिम दिल के सहारे रहा मरीज
कृत्रिम दिल: टाइटेनियम से बने दिल की सफलता की पहली झलक Artificial heart: First glimpse of success of heart made of titanium
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने टाइटेनियम से बने कृत्रिम दिल (Titanium Artificial Heart) के साथ एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है, जिसने हार्ट ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में नई उम्मीद जगाई है। यह दुनियाभर में पहली बार हुआ है जब किसी मरीज में कृत्रिम दिल (Artificial Heart) का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है। इस कृत्रिम दिल ने 58 वर्षीय मरीज के शरीर में आठ दिन तक उत्कृष्ट तरीके से काम किया, जिसके बाद उसे मानव दिल से ट्रांसप्लांट किया गया।
इस अनोखे कृत्रिम दिल (Artificial Heart) को अमेरिका के टेक्सास हार्ट इंस्टीट्यूट (टीएचआइ) की मेडिकल डिवाइस कंपनी बायवेकर ने विकसित किया है। इस दिल की खासियत यह है कि यह 12 लीटर प्रति मिनट की दर से ब्लड पंप करता है और इसमें केवल चुंबकीय रोवर मूवमेंट का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, एक छोटा कंट्रोलर मरीज के पेट पर लगाया जाता है जो बाहर से डिवाइस को संचालित करता है और इसके सही तरीके से काम करने को सुनिश्चित करता है।
भविष्य की संभावनाएं
वर्तमान में इस कृत्रिम दिल (Artificial Heart) के और परीक्षण किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ये परीक्षण सफल होते हैं, तो हार्ट ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में यह एक क्रांति ला सकता है। टाइटेनियम से बने इस दिल को बनाने में वैज्ञानिकों ने 10 साल का समय लगाया है और अब इसका अंतिम चरण का ट्रायल जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। इस कृत्रिम दिल की सफलता से हार्ट डोनर की कमी से निपटने में काफी मदद मिल सकती है और मरीजों को लंबे समय तक जीवन जीने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
नवाचार की दिशा में एक कदम
इस उपलब्धि ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा निर्धारित की है और आने वाले समय में हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह कृत्रिम दिल चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार और उन्नति की एक झलक पेश करता है, जिससे भविष्य में और भी महत्वपूर्ण सफलताएं संभव हो सकती हैं।