MODY diabetes prevention : टाइप 5 डायबिटीज़, जिसे आमतौर पर MODY (Maturity Onset Diabetes of the Young) के नाम से जाना जाता है, डायबिटीज़ का एक दुर्लभ लेकिन महत्वपूर्ण रूप है। यह किसी खराब जीवनशैली या इम्यून सिस्टम की समस्या से नहीं, बल्कि एक खास जीन में गड़बड़ी की वजह से होता है।
Type 5 Diabetes symptoms : टाइप 5 डायबिटीज, जिसको MODY भी कहते हैं, एक खास किस्म की डायबिटीज है जो खानदानी होती है। ये टाइप 1 (जो अपने आप बीमारी से होती है) और टाइप 2 (जो गलत खानपान से होती है) से अलग है। ये इसलिए होती है क्योंकि हमारे शरीर में एक खास जीन में गड़बड़ी आ जाती है, जिससे शरीर का शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता। ये बीमारी अक्सर जवानी की शुरुआत में होती है, लेकिन इसके लक्षण टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज जैसे होने की वजह से डॉक्टर भी धोखा खा सकते हैं।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने डायबिटीज की एक नई बीमारी पकड़ी है, जिसको वो टाइप 5 डायबिटीज कह रहे हैं। उनका कहना है कि ये बीमारी आजकल के नौजवानों में दिख रही है। ये उन लोगों को ज्यादा हो रही है जो ठीक से खाना-पीना नहीं करते, कमजोर हैं, और गरीब या मिडिल क्लास देशों में रहते हैं।
IDF ने एक खबर में बताया है कि दुनिया भर में करीब 2 से 2.5 करोड़ लोग इस टाइप 5 डायबिटीज से परेशान हैं, और ये ज्यादातर एशिया और अफ्रीका में है। उनका कहना है कि ये जानना बहुत जरूरी है कि ये डायबिटीज कमजोर और कुपोषित जवान लोगों को कैसे होती है।
ये बीमारी पहली बार 1960 के दशक में इंडिया, पाकिस्तान और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कमजोर लोगों में दिखी थी। शुरू में इसको जे टाइप डायबिटीज कहते थे क्योंकि ये सबसे पहले जमैका में मिली थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 1985 में इसको अपनी लिस्ट में डाला भी था, लेकिन 1998 में निकाल दिया क्योंकि इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। तब लोग सोचते थे कि शायद ये टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज ही है जो ठीक से कंट्रोल नहीं हो पा रही है। लेकिन अब रिसर्च से पता चला है कि ये डायबिटीज का एक अलग ही टाइप है। तो चलिए जानते हैं कि ये क्यों होती है, इसके क्या लक्षण हैं, इसका इलाज कैसे होता है और इससे जुड़ी जरूरी बातें।
टाइप 5 डायबिटीज का मेन कारण है एक जीन में गड़बड़ी। ये गड़बड़ी मां-बाप से बच्चों में आती है। ये बीमारी ऐसे चलती है कि अगर मां या बाप में से किसी एक में भी ये खराब जीन है, तो बच्चे को ये बीमारी होने का 50% चांस रहता है। ये बीमारी गलत खानपान या लाइफस्टाइल की वजह से नहीं होती, बल्कि ये तो जन्म से ही होती है और ये हमारे पेट के अंदर जो इंसुलिन बनाने वाली चीज है, उसको ठीक से काम नहीं करने देती।
टाइप 5 डायबिटीज के लक्षण अलग-अलग तरह के हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये चीजें दिखती हैं:
- ब्लड शुगर का लेवल थोड़ा या मीडियम बढ़ना: ये बहुत छोटी उम्र से ही शुरू हो सकता है।
- मोटापा या उससे जुड़ी दूसरी परेशानियां नहीं होतीं।
- परिवार में पहले भी किसी को डायबिटीज रही होती है।
- कुछ लोगों में ये आम लक्षण भी दिखते हैं: बार-बार पेशाब आना, बहुत प्यास लगना, थकान महसूस होना और वजन कम होना।
- पेशाब में कीटोन नहीं आता: टाइप 1 डायबिटीज में आता है, लेकिन इसमें नहीं आता। और इनको तुरंत इंसुलिन की भी जरूरत नहीं पड़ती।
टाइप 5 डायबिटीज का इलाज इस बात पर डिपेंड करता है कि कौन से जीन में गड़बड़ी है। कुछ लोगों को तो इलाज की जरूरत भी नहीं पड़ती, क्योंकि उनका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल ही रहता है और कोई खतरा नहीं होता। लेकिन कुछ लोगों को दवाइयां (जैसे ग्लीब्युराइड) खानी पड़ती हैं, जो पेट को ज्यादा इंसुलिन बनाने में हेल्प करती हैं। हेल्दी खाना खाना और ब्लड शुगर को चेक करते रहना भी जरूरी है। ज्यादातर लोगों को इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती, जब तक कि कोई परेशानी न हो।
क्योंकि ये बीमारी खानदानी है, इसलिए इसको रोकना मुश्किल है। लेकिन अगर परिवार में पहले किसी को ये बीमारी हुई है, तो जल्दी पता चल सकता है। अगर आपके परिवार में किसी को कम उम्र में डायबिटीज हुई है जिसका पता नहीं चल रहा है, तो जेनेटिक टेस्ट करवा के पता चल सकता है कि आपको भी ये गड़बड़ी है या नहीं। हेल्दी लाइफस्टाइल रखना, ज्यादा मीठा न खाना और रेगुलर ब्लड शुगर चेक करना परेशानियों को कम कर सकता है और आपकी सेहत अच्छी रख सकता है।
टाइप 5 डायबिटीज का इलाज बीमारी के टाइप के हिसाब से होता है और ये जेनेटिक टेस्ट और डॉक्टर की सलाह से होता है। ज्यादातर मामलों में, खाने वाली दवाइयां काफी होती हैं। कुछ रेयर केस में इंसुलिन भी लगवाना पड़ सकता है। क्योंकि ये बीमारी जन्म से होती है, इसलिए इसका इलाज इसको जड़ से खत्म करना नहीं, बल्कि कंट्रोल करना होता है। सही टाइम पर पता चलना और सही दवाई लेना बहुत जरूरी है।
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टाइप 5 डायबिटीज (MODY) एक खानदानी बीमारी है जिसको सही टाइम पर पहचान कर कंट्रोल किया जा सकता है। अगर जल्दी पता चल जाए और सही इलाज हो, तो परेशानियों से बचा जा सकता है और मरीज एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को ये बीमारी है, तो जेनेटिक टेस्ट करवा के सही जानकारी लेना जरूरी है।