सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी के निदेशक डॉ. राजीव दीक्षित के अनुसार देश में ओरल कैंसर के सलाना डेढ़ लाख मामले सामने आते हैं।
शराब किसी भी तरह की पिएं या कितनी ही कम पिएं वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होती है। इतना ही नहीं इससे कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। टाटा मेमोरियल कैंसर इंस्टीट्यूट के खारघर स्थित एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट रिसर्च एंड एजुकेशन इन करियर के अध्ययन में अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है। इसके अनुसार अगर कोई रोज नौ एमएल से कम शराब भी पी रहा है तो उसे कैंसर होने का जोखिम 56 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। शराब की अलग-अलग किस्मों के अनुसार कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता घटता है। जैसे देसी थर्रा पीने से कैंसर का जोखिम 209 प्रतिशत तक बढ़ता है। वहीं बीयर पीने से 91 प्रतिशत व्हिस्की से 78 प्रतिशत, रम से 31 प्रतिशत, वाइन से 42 प्रतिशत और वोडका से कैंसर होने का खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ता है।
इस अध्ययन में मुंह के कैंसर के 1803 और 1903 स्वस्थ लोगों पर शोध किया गया। शराब के प्रभाव का ग्राम प्रतिदिन के आधार पर आकलन किया गया। जिससे शरीर में वास्तविक रूप से एल्कोअल की मात्रा का सटीक अंदाजा लगाया जा सके। शोध के अनुसार भारत में प्रति एक लाख पुरुषों में औसतन 15 को ओरल कैंसर होता है। कुछ शहरों मेंं यह संख्या 30 तक भी है।
सेंटर फॉर कैंसर एपिडेमियोलॉजी के निदेशक डॉ. राजीव दीक्षित के अनुसार देश में ओरल कैंसर के सलाना डेढ़ लाख मामले सामने आते हैं। अगर तंबाकू और शराब का सेवन न किया जाए तो एक लाख लोग कैंसर की चपेट में आने से बच सकते हैं। वहीं टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ.सुदीप गुप्ता के अनुसार शराब सिर्फ ओरल कैंसर ही नहीं बल्कि सात अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी जिम्मेदार है।