हुबली

शहीद भाई के सपनों को सलाम: ओम मुस्तापुरे बने अग्निवीर, देशसेवा की नई उड़ान

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड सिर्फ एक सैन्य समारोह नहीं, बल्कि अनेक परिवारों के सपनों और त्याग का साकार रूप थी। इसी परेड में शामिल हुए ओम मुस्तापुरे, जिनकी कहानी प्रेरणा, हौसले और देशभक्ति का सशक्त संदेश देती है।

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अग्निवीर ओम मुस्तापुरे: बेलगावी परेड में दिखा साहस और संकल्प का जज्बा, शहीद भाई की तस्वीर संग माता-पिता का गर्व छलक उठा।

बेलगावी के मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री रेजिमेंटल सेंटर में आयोजित अग्निवीरों की पासिंग आउट परेड सिर्फ एक सैन्य समारोह नहीं, बल्कि अनेक परिवारों के सपनों और त्याग का साकार रूप थी। इसी परेड में शामिल हुए ओम मुस्तापुरे, जिनकी कहानी प्रेरणा, हौसले और देशभक्ति का सशक्त संदेश देती है।

महाराष्ट्र के परबनी जिले के एक साधारण किसान परिवार से आने वाले ओम के पिता सूर्यकांत खेती करते हैं और माता सुनीता गृहिणी हैं। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े इस परिवार का जीवन सीमित संसाधनों के बावजूद सम्मान और मूल्यों पर आधारित रहा है।

विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
ओम की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब उनके बड़े भाई शुभम मुस्तापुरे, जो चार मराठा लाइट इन्फ्रेन्ट्री में सेवारत थे, 2018 में जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में शहीद हो गए। यह घटना पूरे परिवार के लिए असहनीय थी, लेकिन शुभम के सपनों और उनकी देशनिष्ठा ने ओम के भीतर एक नई ऊर्जा जगाई।
ओम मुस्तापुरे बताते हैं, भैया मेरे हीरो थे। मैंने उन्हें हमेशा गर्व से वर्दी में देखा। उनका रास्ता कठिन था, लेकिन उन्होंने कभी पीछे नहीं देखा। मैंने तय किया कि उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है। मुस्तापुरे ओम की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। उनका संदेश साफ है—देशसेवा विरासत भी है और जिम्मेदारी भी। इसे निभाना सम्मान की बात है।

31 सप्ताह का कठिन सैन्य प्रशिक्षण
पुणे के सिंहगढ़ कॉलेज से बीसीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद ओम मुस्तापुरे ने सेना में जाने की तैयारी शुरू की। उनका गांव भी देशसेवा की भावना से भरपूर है, जहां कई युवा सेना में सेवाएं दे रहे हैं। इस माहौल ने भी ओम के जज्बे को और मजबूत किया। 31 सप्ताह के सख्त सैन्य प्रशिक्षण के बाद आज वे अग्निवीर बनने की गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। परेड के दौरान उनका कदमों की दृढ़ता, चेहरे का आत्मविश्वास और आंखों का चमकना इस बात का प्रमाण था कि वे सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन के तहत आगे बढ़ रहे हैं।

पिता का सीना गर्व से चौड़ा
परेड ग्राउंड में ओम के माता-पिता की भावनाएं शब्दों में बयां होना मुश्किल थीं। पिता सूर्यकांत ने गर्व से कहा, एक बेटा देश के लिए शहीद हुआ, दूसरा अब देश की रक्षा के लिए आगे बढ़ रहा है। इससे बड़ा गर्व क्या होगा?

माता की भावनाएं
वहीं माता सुनीता ने बेटे के कंधों पर हाथ रखकर बस यही कहा—सावधान रहना, बेटा। देशसेवा करते हुए अपना ध्यान भी रखना।

Published on:
08 Dec 2025 06:52 pm
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