इंदौर में होगा बड़ा काम, लोगों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से आस
लोगों को उम्मीद: मोहन की देख-रेख में दूर होगा ट्रैफिक, सड़क, पानी का अभिशाप
यह पहला मौका है, जब कोई मुख्यमंत्री इंदौर का प्रभारी मंत्री बना है। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव के इंदौर के प्रभारी मंत्री बनने के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। इंदौरवासियों को उम्मीद है कि सीएम डॉ. यादव की देखरेख में इंदौर सफलता की उड़ान भरेगा।
मुख्यमंत्री के सामने महत्वपूर्ण मुद्दे
- शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बड़ी चुनौती है। कई चौराहों का विकास व सड़कों का चौड़ीकरण जरूरी है। राजनीति दखल से यह काम नहीं हो पाते। मुख्यमंत्री ऐसे मामलों में सीधे फैसला लेकर काम करवा सकते हैं।
- पानी, सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की फाइलें इंदौर-भोपाल के बीच झूलती रहती हैं। जब प्रदेश के मुखिया ही भोपाल के साथ इंदौर का काम संभालेंगे तो सीधे फैसले होंगे। अफसर इसे उलझा नहीं पाएंगे।
- शहर की मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर निगम तो आवासीय योजनाएं आइडीए के पास हैं। निगम को हर योजना के लिए शासन से मदद की जरूरत होती है तो आइडीए की योजना भोपाल से मंजूर होती है। विभागीय मंत्री व सरकार की अनुमति जरूरी होने से तुरंत फैसला नहीं हो पाता है। मुख्यमंत्री ही प्रभारी मंंत्री हैं तो योजना उनके सामने जाएगी और मंजूरी मिल जाएगी।
- बाहरी इलाकों में कॉलोनियां बस रही हैं, लेकिन सुरक्षा नहीं है। स्थानीय अफसर इस पर गंभीर नहीं हैं। अब मुख्यमंत्री ही प्रभारी मंत्री हैं तो लोग सीधे उनके समक्ष समस्याएं रख पाएंगे। मुख्यमंत्री की निगरानी होने से अफसर समस्या टाल नहीं पाएंगे। तुरंत कार्रवाई से लोगों को राहत मिलेगी।
एक ही गुट था हावी, एक तीर से कई शिकार
विधानसभा चुनाव के बाद स्थानीय राजनीति में एक गुट हावी हो गया था। हर स्तर पर इसी गुट के लोग फैसले ले रहे हैं, अन्य जनप्रतिनिधियों को सरकारी आयोजनों में भी महत्व नहीं दिया जा रहा है। गुट विशेष की कार्यप्रणाली पहले ही चर्चा का विषय रही है। कैबिनेट मंत्री के ही प्रभारी मंत्री बनने की चर्चा होने लगी थी। मुख्यमंंत्री ने इंदौर का प्रभार अपने पास रख गुट को चारों खाने चित करते हुए हाशिये पर आ चुके दूसरे जनप्रतिनिधियों को प्राण वायु देने का काम किया है। शक्तिशाली गुट फैसले को समझने में लगा है। अफसरों को भी स्पष्ट संकेत मिल गए हैं, जिसके परिणाम आने वाले समय में नजर आएंगे।
विकास कार्य तेज होंगे, राजनीति भी बदलेगी
प्रदेश के हर मुख्यमंंत्री के लिए इंदौर ड्रीम सिटी रहा है। सभी को पता है कि इंदौर से प्रदेश की राजनीतिक दशा तय होती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रभारी मंत्री होने से विकास कार्य तेजी से होंगे, राजनीति भी बदलेगी। अभी यहां स्थानीय मंत्री का दबदबा था, उन्हीं के इशारे पर काम हो रहे थे लेकिन अब परिस्थिति बदलेगी। इंदौर में कई काम सालों से धीमी गति से चल रहे हैं, कई योजनाएं लंबित हैं। ट्रैफिक सुधार के लिए फ्लाई ओवर, एलिवेटेड बनाने जैसी योजनाओं में सीधे मुख्यमंत्री का दखल रहेगा तो अफसर और जनप्रतिनिधि गंभीर रहेंगे। उम्मीद है कि इससे इंदौर के विकास को पंख लगेंगे।
भानू चौबे, राजनीतिक विश्लेषक
अनुमति का इंतजार होगा खत्म
प्रभारी मंत्री इसलिए बनाए जाते हैं कि जिले में योजनाएं सही ढंग से लागू हो रही हैं या नहीं? लोगों की समस्या, विकास के बिंदुओं पर कितना ध्यान दिया जा रहा है? प्रभारी मंत्री का काम जिले की सुविधाओं पर ध्यान देना और समस्याएं हल करना होता है। प्रभारी मंत्री को वित्त मंत्री एवं मुख्यमंत्री से योजना की मंजूरी लेनी होती है। कई मामले राजनीति में उलझ जाते हैं, लेकिन जब मुख्यमंत्री ही जिले के प्रभारी बने हैं तो वे सीधे फैसले लेंगे। जब मुख्यमंत्री निर्देश देंगे तो किसी को उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं होगी। इंदौर के लिए मुख्यमंंत्री का प्रभारी मंत्री होना अच्छा फैसला है। देखना है कि इंदौर के जनप्रतिनिधि व लोग इसका कितना फायदा उठा पाते हैं।
पन्नालाल, पूर्व आइजी