इंदौर

हाईकोर्ट ने भाजपा के पक्ष में सुनाया फैसला, कांग्रेस प्रत्याशी को विजेता मानने से किया इंकार, जाने पूरा मामला

High Court Order : हाईकोर्ट ने जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें नेशा देवलिया का निर्वाचन निरस्त कर कांग्रेस प्रत्याशी को विजेता घोषित किया था।

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हाईकोर्ट का फैसला (Photo Source- Patrika)

High Court Order :मध्य प्रदेश के आर्थिक शहर इंदौर के नगर निगम के वार्ड-44 के पार्षद पद को लेकर बीते दो साल से चल रहा कानूनी विवाद पर फैसला आ गया है। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए भाजपा पार्षद नेशा रूपेश देवलिया के पक्ष में फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें नेशा देवलिया का निर्वाचन निरस्त कर कांग्रेस प्रत्याशी को विजेता घोषित किया था।

नगर निगम चुनाव 2022 में वार्ड नंबर-44 से भाजपा प्रत्याशी नेशा देवलिया ने स्पष्ट बहुमत के साथ जीत हासिल की थी। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की पराजित प्रत्याशी नंदिनी मिश्रा (नंदिनी आशीष मिश्रा) ने जिला अदालत में याचिका दायर करते हुए चुनाव को चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि, नामांकन के दौरान नेशा देवलिया ने अपने शपथ-पत्र में संपत्ति से जुड़ी जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दी थी और संपत्ति कर को लेकर गड़बड़ी की गई थी। ये आपत्ति छोटी खजरानी इलाके के एक मकान को लेकर था।

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कांग्रेस ने दिया ये तर्क

कांग्रेस प्रत्याशी का कहना था कि, ये भवन व्यावसायिक इस्तेमाल का है, लेकिन शपथ-पत्र में इसे आवासीय दर्शाया गया है। साथ ही, भवन के क्षेत्रफल को लेकर भी अलग-अलग दस्तावेजों में विरोधाभास होने का आरोप लगाया गया था। इन्हीं बिंदुओं के आधार पर चुनाव को अवैध ठहराने की मांग की थी। जिला अदालत में सुनवाई के दौरान कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया कि, मकान पुराना है और रजिस्ट्री में उसका उपयोग व्यावसायिक दर्शाया गया है, इसलिए शपथ-पत्र में दी गई जानकारी सही नहीं है। जिला अदालत ने इन दलीलों को स्वीकार किया और भाजपा पार्षद का निर्वाचन निरस्त कर दिया। ऐसे में सेकंड रनरअप रहीं कांग्रेस की नंदिनी मिश्रा का नाम ऊपर आ गया।

हाईकोर्ट ने इस आधार पर सुनाया फैसला

लेकिन, भाजपा पार्षद नेशा देवलिया ने हार नहीं मानते हुए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में अपील दायर कर दी। जस्टिस आलोक अवस्थी की एकलपीठ ने दोनों पक्षों के तर्क, दस्तावेज और रिकॉर्ड का विस्तार से परीक्षण किया गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को तथ्यात्मक रूप से कमजोर मानते हुए उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कहा कि, ना तो निर्वाचन रद्द किया जा सकता है और ना ही दूसरे प्रत्याशी को विजेता घोषित किया जा सकता। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद वार्ड-44 से निर्वाचित भाजपा पार्षद नेशा रूपेश देवलिया की सदस्यता पूरी तरह बहाल कर दी गई है, जिसके चलते क्षेत्र में सालों से चला आ रहा विवाद अब खत्म हो गया है।

Published on:
20 Dec 2025 07:33 am
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