MP Farmer Suicide Case: जनसुनवाई में ललेड़ीपुरा के किसान करण सिंह ने की थी आत्महत्या, जांच रिपोर्ट में जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर होने पर कलेक्टर ने जारी किए विभागीय जांच के आदेश...
MP Farmer Suicide Case: अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए परेशान किसान द्वारा एसिड पी आत्महत्या करने के मामले में अपर कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें नायब तहसीलदार, आरआइ, पटवारी और बाबू की लापरवाही बताई गई। इस पर प्रभारी कलेक्टर ने आरआइ, पटवारी और बाबू को सस्पेंड कर विभागीय जांच शुरू कर दी है। नायब तहसीलदार पर कार्रवाई का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया था, जिसमें संभागायुक्त ने तत्काल एक्शन लेते हुए नायब तहसीलदार को भी सस्पेंड करते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
कलेक्ट्रेट में आयोजित की जाने वाली जनसुनवाई में देपालपुर तहसील के लल्लेड़ीपुरा के किसान करण सिंह वर्मा ने आत्महत्या कर ली थी। प्रभारी कलेक्टर गौरव बेनल ने जांच के आदेश दिए थे, जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को अपर कलेक्टर राजेंद्र सिंह रघुवंशी ने पेश की। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि दस्तावेजों से स्पष्ट हुआ कि करण सिंह ने विवादित जमीन के सीमांकन को लेकर 14 फरवरी 2024 को आवेदन दिया था, लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की और प्रकरण भौतिक रूप से उपलब्ध नहीं है। आरसीएमएस पर आज भी लंबित स्थिति में है।
करण सिंह ने 30 अप्रेल 2024 को कब्जा दिलाने का आवेदन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 22 अक्टूबर 2024 को दूसरी बार सीमांकन का आवेदन किया, जिस पर दिसंबर में सीमांकन हुआ, लेकिन कब्जा नहीं दिलाया गया, जिससे आवेदक को न्याय नहीं मिल सका। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जमीन के सीमांकन की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि सीमा का कोई विवाद नहीं था। सीधा-सीधा जमीन पर कब्जे का विवाद था और प्रकरण का निराकरण कर कब्जा दिलाना था।
सरकार भले ही सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को बगैर ब्याज के राशि दे रही है, लेकिन किसानों पर निजी कर्ज है। एसिड पी आत्महत्या करने वाले किसान की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। घटना के बाद बवाल मचा तो दो दर्जन से अधिक ऐसे गरीब किसान सामने आए, जिनकी जमीन पर कब्जा है।
मालूम हो, जनसुनवाई में पहुंचे ललेड़ीपुरा के करण सिंह ने एसिड पीकर आत्महत्या कर ली थी। समाज व ग्रामीणों ने बुधवार को हाईवे जाम कर दिया था। बाद में प्रशासन ने किसान के परिजन को जमीन का कब्जा दिलाया। इसके बाद आसपास के गांवों के करीब दो दर्जन गरीब किसानों ने कब्जे की समस्या बताई। इसे लेकर प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले मनोज परमार ने प्रशासनिक अफसरों से बात की।
जांच रिपोर्ट आते ही प्रभारी कलेक्टर बेनल ने नायब तहसीलदार जगदीश रंधावा को सस्पेंड करने व विभागीय जांच करने का प्रस्ताव संभागायुक्त दीपक सिंह को भेज दिया। संभागायुक्त ने रंधावा को सस्पेंड कर दिया। बेनल ने शासकीय कार्य में गंभीर लापरवाही पर मप्र सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के चलते आरआइ नरेश विवलकर, पटवारी अल्केश गुप्ता और बाबू रीना कुशवाह को सस्पेंड कर दिया।