जबलपुर

MP High Court : आरोपी को बिना सुने जमानत आदेश रद्द करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन- जबलपुर हाईकोर्ट

MP High Court : आरोपी को बिना सुने जमानत आदेश रद्द करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन, सुनवाई का उचित अवसर मौलिक अधिकार है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया।

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Aug 16, 2024

MP High Court : जमानत की शर्तों के उल्लंघन पर जमानत आदेश स्वत: रद्द होने पर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने माना कि जमानत आदेश रद्द करने से सीधे व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। उसके मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं। किसी की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला कोई भी आदेश सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद पारित किया जाना चाहिए। सुनवाई का उचित अवसर मौलिक अधिकार है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया।

Lucknow Crime

MP High Court : हाईकोर्ट ने अपने पुराने आदेश को वापस लिया

याचिका के अनुसार, दमोह में धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी थी। शर्त रखी थी कि उसे हर माह थाने में हाजिरी देनी होगी। ऐसा न होने पर जमानत स्वत: रद्द हो जाएगी। पुलिस की रिपोर्ट के बाद उसे जेल भेजने के आदेश हुए। इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया-कोरोना महामारी में घर से दमोह थाने की दूरी व पिता के खराब सेहत की वजह से वह थाने नहीं जा सका। इससे जमानत रद्द होने से मौलिक अधिकारों पर असर पड़ा है।

MP High Court : इस आदेश में उसे सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया

कोर्ट ने अपने 14 मार्च 2022 के पिछले आदेश को वापस लेते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि उचित प्रक्रिया और सुनवाई का अवसर दिए बिना जमानत को स्वचालित रूप से रद़्द करने वाी कोई भी स्थिति व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।

Published on:
16 Aug 2024 10:47 am
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