शहर से दूर रह रहे लोगों के लिए यहां के पंडे-पुजारी भी पितृपक्ष में ऑनलाइन श्राद्ध व पितृकर्म करा रहे हैं। विदेश में या देश मे ही दूरस्थ स्थानों पर निवासरत लोग ऑनलाइन पिंडदान की इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
online tarpan-shraddha : पितृकर्म में भी तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। समय के साथ हाईटेक हो रहे समाज को पूर्वजों का श्राद्ध कराने के लिए कई वेबसाइट्स ऑनलाइन पिंडदान की सुविधा दे रही हैं। इन वेबसाइट्स के जरिये विदेश में रह रहे भारतीय भी पिंडदान कर सकते हैं। शहर से दूर रह रहे लोगों के लिए यहां के पंडे-पुजारी भी पितृपक्ष में ऑनलाइन श्राद्ध व पितृकर्म करा रहे हैं। विदेश में या देश मे ही दूरस्थ स्थानों पर निवासरत लोग ऑनलाइन पिंडदान की इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गौरीघाट के पुजारी अभिषेक मिश्रा ने बताया कि शहर में कई पुजारी व पंडा देश-विदेश में बैठे लोगों का ऑनलाइन श्राद्ध और तर्पण करा रहे हैं। यह सब लैपटॉप या मोबाइल फोन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होता है। मुम्बई, दिल्ली , कलकत्ता, असम, बेंगलुरु के अलावा नेपाल, यूके व अमेरिका में बैठे लोग भी जबलपुर में पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करा रहे हैं।
ऑनलाइन श्राद्ध की इस प्रक्रिया में ब्राह्मण अपने यजमान के साथ मुहूर्त के समय पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप्लीकेशन से कनेक्ट होते हैं। अथवा मोबाइल पर जुड़ते हैं। पुजारी उन्हें तर्पण व श्राद्ध की विधि समझाकर मंत्रोच्चार कर पितृकर्म सम्पन्न करा रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि फिलहाल इंग्लैंड में निवासरत एक व्यक्ति अपने पिता के लिए ऑनलाइन तर्पण करवा रहे हैं।
शुक्रवार को पितृपक्ष की तृतीया श्राद्ध है। किसी भी पक्ष की तृतीया तिथि के दिन स्वर्गवासी माता, पिता का श्राद्ध एवं तर्पण मृत्यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष की तृतीया को किया जाएगा। इस दिन श्राद्ध अभिजित, कुतुप या रोहिणी मुहूर्त में किया जाता हैं। इसे महाभरणी श्राद्ध भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य शुक्ला ने बताया कि विष्णु पुराण के अनुसार, पिता के लिए पिंडदान और जल-तर्पण पुत्र को करना चाहिए। पुत्र न हो तो पत्नी, पत्नी के नहीं होने पर सगा भाई भी श्राद्ध कर्म कर सकता है। मृत व्यक्ति के पुत्र, पौत्र, भाई की संतति पिंडदान के अधिकारी माने गए हैं। जल तर्पण करने वाला व्यक्ति नियम-संयम धारण करता है।