Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: एक अन्य मामले में डिजिटल अरेस्ट युवती सूझबूझ के साथ साहस दिखाते हुए साइबर ठगों के जाल से बाहर निकल गई।
Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: पत्रिका के रक्षा कवच अभियान की वजह से बस्तर में लोगों के बीच साइबर अपराध को लेकर जागरूकता आई है। नवंबर माह से पात्रिका ने रक्षा कवच अभियान शुरू करते हुए आम जनता और पाठकों को साइबर अपराध के खिलाफ जागरूक किया। जिसका असर देखने को मिल रहा है और साइबर ठगी के मामले में अब कमी आ रही है।
रक्षा कवच अभियान के दौरान साइबर पुलिस ने कुल 19 सायबर ठगों को गिरफ्तार करने में सफलता पायी। पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे अभियान के बाद पुलिस ने भी माना की इस अभियान से आम लोगों में जागरूकता आयी है और लोग शातिर साइबर ठगों के जाल में फंसने से बचेंगे। अब साइबर ठगों से सजग और सचेत रहने की जिम्मेदारी आपकी है।
बस्तर में अभी तक डिजिटल अरेस्ट के तीन मामले सामने आए हैं जिनमें एक रिटायर्ड कर्मी बचने के लिए पांच लाख रूपए गंवा दिए। वहीं एक अन्य मामले में डिजिटल अरेस्ट युवती सूझबूझ के साथ साहस दिखाते हुए साइबर ठगों के जाल से बाहर निकल गई। सायबर पुलिस ने बताया कि बस्तर में इस तरह के मामलों में जागरूकता के चलते वारदात थम गए हैं।
बिजनेसमैन, इंद्रजीत सिंह ठाकुर: मोबाइल नंबर द्वारा तस्करी और गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का डर दिखाकर ठगी का प्रयास किया गया। मुंबई से क्राइम ब्रांच अधिकारी बन डिजिटल अरेस्ट करने की कोशिश की गई किन्तु जागरूकता के कारण जाल में फंसने से बच गया।
बस्तर में साइबर ठगी के सबसे ज्यादा मामले शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर ज्यादा रूपए कमाने का लालच देकर किया गया है। इसके जाल में फंसकर पढ़े लिखे युवा वर्ग सहित रिटायर्ड कर्मी भी फंस रहे हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले भी इन ठगों के जाल में फंस कर अपनी कमाई गंवा चुके हैं। यही वजह है कि पिछले तीन महीनों में इंजीनियर, शिक्षक, बिजनेस मैन और रिटायर्ड कर्मी साइबर ठगी के अधिक शिकार हुए, अब उन्हें सजग होना होगा।
Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बस्तर, महेश्वर नाग: पत्रिका की टीम ने लोगों को साइबर अपराध से बचाने जागरूकता लाने का प्रयास किया है जो बहुत ही सराहनीय है। पत्रिका ने ठगी के शिकार लोगों को सामने लाकर उनकी आपबीती को प्रमुखता से प्रकाशित किया इससे लोगों को अपराधियों द्वारा किए जाने वाले ठगी की तरीके समझाने में आसानी हुई। इससे लोग साइबर ठगों के जाल में फंसने से बचे। आगे भी लोगों को लाभ होगा।
शिक्षिका, नीलम सोरी: साइबर ठगों द्वारा मैसेज और कॉल कर अपने जाल में फंसाने का प्रयास किया गया। उनके द्वारा लिंक भेज कर खोलने कहा गया। पत्रिका ने साइबर ठगों से बचने समय समय पर जागरू किया और मैं ठगी से बच गई।
समाजसेवी, अवधेश शुक्ला: पत्रिका द्वारा आम जनता को साइबर ठगी से बचने लगातार अभियान चलाया गया। पत्रिका में प्रकाशित खबरों में साइबर ठगी से बचने तरीके बताए जाते रहे जो सराहनीय रहे। आने वाले समय में इस अभियान के और भी फायदे दिखेंगे।
वरिष्ठ नागरिक, रामचंद्र साहा: साइबर ठगों ने मुझे कॉल कर लाखों रूपए ठगने का प्रयास किया। परिचित होने का झांसा देकर ओटीपी और क्यूआर कोड भेजकर धोखाधड़ी करने की कोशिश की गई। कॉलर के सायबर ठग होने का एहसास होते ही ठगी से बच गया।
गृहणी, भारती श्रीवास: बिना लागत के घर बैठे पैसे कमाने के नाम पर एपीके एप डाउनलोड करने कहा गया। पत्रिका में साइबर ठगी की की जानकारी थी। इससे ठगों को झांसे में आने से बच गई।