जगदलपुर

प्रोटॉन मेल बना नक्सलियों का नया हथियार, जानें क्या इसकी खासियत, आखिर क्यों है सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती…?

CG Naxal News: पर्चे में दी गई मेल आईडी पता लगने पर खुलासा हुआ है कि नक्सली अब अपनी गोपनीयता और संपर्क के लिए प्रोटॉन मेल सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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Sep 20, 2025

CG Naxal News: मनीष गुप्ता. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में नक्सलियों द्वारा हाल ही में जारी एक पर्चे ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। पर्चे में दी गई मेल आईडी पता लगने पर खुलासा हुआ है कि नक्सली अब अपनी गोपनीयता और संपर्क के लिए प्रोटॉन मेल सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।

स्विट्जरलैंड की इस सुपर-सेक्योर ई-मेल सेवा से उनके संवाद गोपनीय रहते हैं। जिससे सुरक्षा बलों के लिए नक्सलियों के मेल की निगरानी और ट्रैकिंग काफी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। हालांकि इस मामले में पुलिस ने खामोशी है। अफसर कह रहे हैं कि जांच जारी है। लेकिन साइबर एक्सपर्ट इसे चुनौती मान रहे हैं।

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CG Naxal News: विदेशों में भी नेटवर्क

नक्सलियों द्वारा जारी बुकलेट में इसका जिक्र था कि नेपाल, फिलीपींस, पेरू, इंडोनेशिया, श्रीलंका, यूके, फ्रांस सहित कई देशों में अनेक संगठनों से उनके संबंध है कुछ स्थानों पर तो दफ्तर भी संचालित किए जा रहे है।

नक्सलियों की नई चाल

पहले नक्सली संवाद के लिए मोबाइल, पारंपरिक ई-मेल या ऑफलाइन तरीके अपनाते थे, लेकिन अब उन्होंने प्रोटॉन मेल जैसी एन्क्रिप्टेड सेवा के जरिए अपनी गतिविधियों को और ज्यादा सुरक्षित कर लिया है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की वजह से उनकी बातचीत तीसरे पक्ष के लिए गोपनीय होती है।

सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती

भारत में सक्रिय सुरक्षा तंत्र अब इस तकनीकी चुनौती का सामना कर रहा है। चूंकि प्रोटॉन मेल के सर्वर स्विट्जरलैंड में हैं, भारतीय एजेंसियों को सीधे एक्सेस नहीं मिलेगा। इसलिए, नक्सली संवाद की जांच और ट्रैकिंग के लिए कूटनीतिक प्रयासों और साइबर तकनीकों को मजबूत करना आवश्यक हो गया है। एजेंसियों का यह भी मानना है कि इंडिया के पास भी ऐसी तकनीक है जिससे नेटवर्क को क्रैक किया जा सकता है।

क्या है प्रोटॉन मेल

हैदराबाद साइबर एक्सपर्ट पी राजेश नायडू बताते है कि प्रोटॉन मेल स्विस कंपनी द्वारा विकसित एक ऐसी ईमेल सेवा है जो डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए प्रसिद्ध है। इसका मुख्य सर्वर यूरोप में है, जहां डेटा सुरक्षा कानून काफी सख्त हैं। प्रोटॉन मेल का एन्क्रिप्शन इतना मजबूत होता है कि न तो कंपनी और न ही कोई बाहरी व्यक्ति भेजे गए या प्राप्त मेल का कंटेंट देख सकता है। इसीलिए, उन संगठनों द्वारा इनका ज्यादा उपयोग होता है जो के बीच अपनी जानकारी को पूरी तरह सुरक्षित और गोपनीय रखना चाहते हैं।

Updated on:
20 Sept 2025 02:52 pm
Published on:
20 Sept 2025 12:47 pm
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