Sawan 2025:सावन के पवित्र सोमवार पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब सैकड़ों कांवड़ियों ने बस्तर की जीवनरेखा मानी जाने वाली इंद्रावती नदी के महादेवघाट से जल भरकर रामपाल शिवालय तक पैदल यात्रा की।
Sawan 2025: सावन का दूसरा सोमवार बस्तर के श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास रहा। इस दिन कांवड़ियों ने उस पावन धाम में भगवान शिव का जलाभिषेक किया, जहां कभी प्रभु श्रीराम ने खुद तपस्या कर महादेव की आराधना की थी।
सावन के पवित्र सोमवार पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब सैकड़ों कांवड़ियों ने बस्तर की जीवनरेखा मानी जाने वाली इंद्रावती नदी के महादेवघाट से जल भरकर रामपाल शिवालय तक पैदल यात्रा की। इस यात्रा में बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग तक शामिल हुए, सभी ने नंगे पांव चलकर भोलेनाथ के प्रति अपनी भक्ति समर्पित की। ऐसा लग रहा था मानो सावन की हर बूंद में जैसे भक्ति घुल गई थी और रामपाल धाम ’हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा।
श्रीराम ने बस्तर में दो स्थानों पर की आराधना
जगदलपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित रामपाल शिवालय से जुड़ी एक प्राचीन मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। मान्यता है कि बस्तर अंचल के दण्डकारण्य क्षेत्र में भगवान राम ने केवल दो स्थानों पर ही शिव की उपासना की थी— एक रामपाल और दूसरा सुकमा जिले का रामाराम।