जयपुर कॉलेज को एआइसीटीई का मान्यता देने से इनकार किया है। सुविधाओं की कमी के कारण कॉलेज में उच्च शिक्षा नीति लागू होने पर संकट खड़ा हो गया है।
Jaipur College: राजस्थान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लागू करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन राजधानी जयपुर के सरकारी कॉलेजों की स्थिति एकदम उलट है। यहां यह नीति लागू होती नजर नहीं आ रही है। ताजा मामला जयपुर कॉलेज से जुड़ा है जहां छात्रों को जमीन पर बैठाकर शिक्षा दी जा रही है। हजारों बच्चों के लिए नौ कक्षाएं उपलब्ध हैं, ऐसे में छात्रों को बरामदों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। कॉलेज पोद्दार स्कूल भवन में संचालित किया जा रहा है, जहां तीन हजार छात्र सिर्फ 9 कमरों में पढ़ाई कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने जयपुर कॉलेज में बीबीए और बीसीए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। लेकिन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की ओर से कॉलेज में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण इसकी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में नए सत्र में छात्रों का इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश अटक गया है। हालांकि जयपुर कॉलेज ने पिछले सत्र में इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश दे दिया। इनकी एक सेमेस्टर की परीक्षाएं तो करा ली गई हैं। लेकिन अब राजस्थान यूनिवर्सिटी ने भी संबद्धता देने से मना कर दिया। ऐसे में जो छात्र अध्ययनरत हैं उनकी डिग्री पर संकट आ गया है। अभी तक यह निर्णय नहीं लिया गया है कि उन छात्रों की आगामी परीक्षाएं कैसे कराएंगे।
जयपुर कॉलेज को साल 2013 में शुरू किया गया। यहां जेएलएन मार्ग स्थित राजा रामदेव पोद्दार राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में कॉलेज के लिए 27876 वर्गमीटर भूमि आवंटित की गई। भवन निर्माण के लिए गत भाजपा सरकार ने ही 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इतना ही नहीं, 38 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए। इससे कॉलेज भवन की नींव, बेसमेंट के लिए 9.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बाद फरवरी 2022 में 350 करोड़ का नया प्रोजेक्ट कांग्रेस सरकार लेकर आई। इसे महात्मा गांधी सेंटर फॉर एक्सीलेंस नाम दिया। इसमें 100 करोड़ रुपए जयपुुर कॉलेज के भवन के लिए प्रावधान किया था।
जयपुर कॉलेज की प्रिंसिपल स्निग्धा शर्मा ने कहा कि एआइसीटीई की ओर से कॉलेज को मान्यता नहीं दी जा रही है। ऐसे में बीबीए और बीसीए कोर्स नहीं चला सकते। हमने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। जैसे निर्देश मिलेंगे आगे की कार्रवाई की जाएगी।