सौर और पवन ऊर्जा के साथ 3200 मेगावाट का बैटरी सिस्टम लगाने के बाद 51 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, जबकि यह थर्मल पावर प्लांट से 75 प्रतिशत लोड फैक्टर पर 57.6 मिलियन यूनिट बिजली बनती है।
जयपुर। प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य ऊर्जा विकास निगम ने 3200 मेगावाट क्षमता का नया थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रोजेक्ट राज्य में ही स्थापित होने से राजस्थान को आर्थिक, औद्योगिक और रोजगार के स्तर पर बड़ा लाभ होगा। खास बात यह है कि, छत्तीसगढ़ की बजाय अब राजस्थान में ही प्लांट लगने से इंटरस्टेट ट्रांसमिशन लागत में प्रति यूनिट करीब 18 पैसे की बचत हो सकेगी।
आकलन के अनुसार प्रोजेक्ट की लागत 32000 से 38400 करोड़ रुपए के बीच होगी। इससे राज्य को 2880 से 3456 करोड़ रुपए का एसजीएसटी (राज्य वस्तु एवं सेवा कर) मिलेगा। संचालन के दौरान भी हर वर्ष करीब 173 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व कोयले, रखरखाव व अन्य उत्पाद पर टैक्स के रूप में मिलेगा। राज्य ऊर्जा विकास निगम इसके टेंडर जारी कर चुका है।
सौर और पवन ऊर्जा के साथ 3200 मेगावाट का बैटरी सिस्टम लगाने के बाद 51 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, जबकि यह थर्मल पावर प्लांट से 75 प्रतिशत लोड फैक्टर पर 57.6 मिलियन यूनिट बिजली बनती है। यानि, थर्मल पावर में इनके मुकाबले 6.6 मिलियन यूनिट ज्यादा बिजली बनती है।
प्रोजेक्ट से राज्य में 10 हजार से 15 हजार लोगों को सीधा रोजगार मिलने की संभावना है। इसके अलावा परिवहन, होटल-रेस्टोरेंट, निर्माण उपकरण, श्रमिक आपूर्ति और हॉर्टिकल्चर जैसे सहायक उद्योगों को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।