बनास नदी से पानी बीसलपुर बांध में पहुंचेगा। यहां से पानी की सप्लाई जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाईमाधोपुर, दौसा व अन्य जिलों में हो सकेगी।
भवनेश गुप्ता
राम जल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित ईआरसीपी) के बाद अब ब्राह्मणी नदी से भी पानी लाने की तैयारी है, जो 6 जिलों के लाखों लोगों के उपयोग आएगा। ब्राह्मणी नदी मध्यप्रदेश से चित्तौड़गढ़ की तरफ प्रवेश कर रही है। इस नदी (चंबल की सहायक नदी) पर भैंसरोडगढ़ एरिया में 54 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का बैराज बनेगा और यहां से करीब 132 किलोमीटर दूरी तय करते हुए भीलवाड़ा से गुजर रही बनास नदी तक पानी लाया जाएगा।
बनास नदी से पानी बीसलपुर बांध में पहुंचेगा। यहां से पानी की सप्लाई जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाईमाधोपुर, दौसा व अन्य जिलों में हो सकेगी। जल संसाधन विभाग बांध निर्माण के लिए निविदा जारी कर चुका है और कैनाल का अलाइनमेंट तय करने के लिए सर्वे किया जा रहा है। गौरतलब है कि ईआरसीपी से पहले भी ब्राह्मणी नदी का प्रस्ताव आया था।
मानसून के दौरान ब्राह्मणी नदी में काफी पानी आता है। यह पानी कोटा बैराज होकर चंबल नदी में बह जाता है। बारिश में बह जाने वाला करीब 5000 क्यूसेक पानी को उपयोग के लिए बीसलपुर में लाने का प्लान है।
राणा प्रताप सागर से भी पानी लिया जाएगा, जो बारिश में बह जाता है। इसके लिए बांध से बैराज तक फीडर तैयार करेंगे। इसका भी प्लान तैयार कर लिया गया है। तीन जगह अभयारण्य व वन क्षेत्र कैनाल के प्रस्तावित अलाइनमेंट में तीन जगह अभयारण्य व वन क्षेत्र आ रहा है।
इनमें भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व और रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य शामिल है। यहां टनल भी बनाई जानी है। इसलिए अभी अलाइनमेंट फाइनल नहीं हो पाया है। अलाइनमेंट को लेकर पिछले दिनों ही उच्च स्तर पर चर्चा भी हुई है।
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भैंसरोडगढ़ में ब्राह्मणी नदी पर बनने वाले बैराज की लागत 693 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसके लिए निविदा जारी कर दी गई है। निर्माण कार्य 33 माह में पूरा होगा। इस बैराज का पानी भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में पेयजल के लिए सप्लाई किया जाएगा।