जयपुर

Diggi Kalyan Yatra: बारिश में 90KM तक पैदल चलेंगे 3 लाख श्रद्धालु, आज से शुरू होगी डिग्गी कल्याणजी मंदिर के लिए 60वीं लक्खी पदयात्रा

Jaipur News: कल्याणजी डिग्गीपुरी लक्खी पदयात्रा संयोजक श्रीजी शर्मा ने बताया कि शहर और आसपास के गांव, ढाणियों से 500 से ज्यादा पदयात्राएं ताड़केश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर दर्शन कर यहां से रवाना होंगी।

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Jul 31, 2025
पदयात्रा में शामिल होने के लिए बुधवार को ही पहुंचने लगे लोग (फोटो:पत्रिका)

Diggi Kalyan Ji Yatra 2025: जयपुर शहर से 90 किमी दूर टोंक जिले में विश्वविख्यात डिग्गीपुरी कल्याणजी मंदिर के लिए 60वीं लक्खी पदयात्रा गुरुवार को रवाना होगी। चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर से शुरू होने वाली पदयात्रा के लिए ढोक लगाकर हर उम्र के पदयात्रियों का कारवां देखते ही नजर आएगा।

कल्याणजी डिग्गीपुरी लक्खी पदयात्रा संयोजक श्रीजी शर्मा ने बताया कि शहर और आसपास के गांव, ढाणियों से 500 से ज्यादा पदयात्राएं ताड़केश्वर महादेव मंदिर पहुंचकर दर्शन कर यहां से रवाना होंगी। सवा मीटर कपड़े से तैयार मुख्य केसरिया निशान-ध्वज की विधिवत पूजा-अर्चना कर संत-महंत सहित कई राजनीतिक शख्सियतें यात्रा को रवाना करेंगी। चार अगस्त को पदयात्रा डिग्गी पहुंचेगी। कल्याणधणी का गंगोत्री के जल से अभिषेक किया जाएगा।

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हालांकि इस बार तेज बारिश में भक्तों की आस्था का इम्तिहान होगा। रास्ते में जगह-जगह क्षतिग्रस्त सड़कों से परेशानी होगी। अनुमान के मुताबिक जयपुर जिले से तीन लाख लोग शामिल होंगे।

भंडारों में रहेंगे भांति-भांति के पकवान: चौड़ा रास्ता समेत टोंक रोड, जेएलएन मार्ग पर जगह-जगह यात्रियों के लिए भंडारे के लिए स्टॉल्स लगना बुधवार शाम से शुरू हो गई। लगभग 1500 से अधिक स्टॉल्स पर पदयात्रियों को भांति-भांति के पकवान दिए जाएंगे। पूरी-सब्जी, समोसा, बर्गर से लेकर आइसक्रीम, फल सहित अन्य व्यंजन खास होंगे। सभी भंडारे पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त रहेंगे। राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती के स्वांग भी कलाकार रचाते नजर आएंगे। ’बाजे छै नौबत बाजा हारा डिग्गीपुरी का राजा…’ सहित अन्य भजनों पर भक्त नृत्य करते हुए दिखेंगे।

10वीं शताब्दी का मंदिर

मंदिर कई मान्यताओं के जुड़ने से विश्व प्रसिद्ध है। संवत् 1584 यानी वर्ष 1527 में मंदिर का पुनर्निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासनकाल में हुआ। मंदिर में कल्याणजी की सफेद संगमरमर की मूर्ति अद्वितीय है। मंदिर की स्थापना से पहले की कई रोचक कथाएं भी यहां से जुड़ी हुई हैं। यह मंदिर दसवीं शताब्दी का बना हुआ है। डिग्गी में रहने वाले गुर्जर गौड़ वंश के पंडितों की ओर से सेवा-पूजा की जाती है। मंदिर के इतिहास और किंवदंतियों के अनुसार राजा डिग्व को कुष्ठ रोग हो गया था और भगवान विष्णु की कृपा से उन्होंने समुद्र से प्राप्त एक मूर्ति को डिग्गी में स्थापित किया, जिससे उनका रोग ठीक हो गया।

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Updated on:
31 Jul 2025 09:06 am
Published on:
31 Jul 2025 09:01 am
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