Ajmer Dargah Temple Case: देशभर में एक बार फिर से मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है। अब ताजा मामला राजस्थान के अजमेर जिले से सामने आया है।
Ajmer Dargah Temple Case: देशभर में एक बार फिर से मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है। अब ताजा मामला राजस्थान के अजमेर जिले से सामने आया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर शरीफ को महादेव का मंदिर बताते हुए अदालत में याचिका दाखिल की। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी कर दिये हैं। इसके बाद देशभर के नेताओं की इस विवाद पर प्रतिक्रिया आ रही है। अब राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि किस तरह का संदेश फैलाया जा रहा है? जहां अशांति है, वहां विकास नहीं हो सकता।
दरअसल, अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि एक कानून पारित किया गया था कि 15 अगस्त 1947 तक बने विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे। भाजपा-आरएसएस की सरकार बनने के बाद से ही कुछ लोग धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सभी चुनाव ध्रुवीकरण करके जीते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष को साथ लेकर चले और विपक्ष के विचारों का सम्मान करे, जो वे नहीं कर रहे हैं। आरएसएस हिंदुओं को एकजुट नहीं कर पा रहा है और उन्हें देश में भेदभाव को खत्म करने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
अशोक गहलोत ने कहा कि देश भर से लोग अजमेर दरगाह पर प्रार्थना करते हैं, यहां तक कि पीएम मोदी सहित सभी प्रधानमंत्री अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं। वे भी चादर चढ़ा रहे हैं और उनकी पार्टी के लोग अदालतों में जाकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। किस तरह का संदेश फैलाया जा रहा है? जहां अशांति है, वहां विकास नहीं हो सकता।
वहीं, ईवीएम पर बोलते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि EVM हमेशा विवाद में रही है। पहले भाजपा नेता बोलते थे कि पेपर से चुनाव होने चाहिए। हरियाणा और महाराष्ट्र में जिस तरह चुनाव का माहौल था, उससे उलट नतीजे आए। महाराष्ट्र में ऐसा माहौल नहीं था कि एकतरफ नतीजे आएं। पहले जो EVM के खिलाफ नहीं थे वे भी अब कहने लगे हैं कि कुछ गड़बड़ है।
इस दौरान अशोक गहलोत ने कहा कि भारत इतना बड़ा मुल्क है। यहां की डेमोक्रेसी हिल रही है। EVM को लेकर दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट तक केस गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में वीवीपैट लगाने का आदेश दिया। यह आदेश क्यों दिया गया, यदि मशीन सब ठीक होती तो VVPAT लगाकर 15-20 हजार करोड़ रुपए खर्च क्यों किए गए। मालूम पड़ता था कि किसको वोट दिया स्लिप आ जाती थी। यह नौबत क्यों आई, इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट ने माना होगा कि मशीनों को टेम्पर किया जा सकता है। उनसे छेड़छाड़ की जा सकती है।
गौरतलब है कि बीते बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने अजमेर दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी।