competitive exams: फॉर्म भरने में मारामारी तक नजर आती है। लेकिन जब पेपर देने का समय आता तो परीक्षा हॉल में सीटें खाली ही खाली नजर आती है। ऐसे हालातों के चलते अब परीक्षा एजेंसी संस्था परीक्षा शुल्क वसूलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दो प्लान बनाए जा रहे हैं।
जयपुर। इन दिनो प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म निशुल्क भरे जा रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि राजस्थान की अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन के समय अभ्यर्थियों की संख्या बेहिसाब नजर आती है। फॉर्म भरने में मारामारी तक नजर आती है। लेकिन जब पेपर देने का समय आता तो परीक्षा हॉल में सीटें खाली ही खाली नजर आती है। ऐसे हालातों के चलते अब परीक्षा एजेंसी संस्था परीक्षा शुल्क वसूलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दो प्लान बनाए जा रहे हैं।
अब वन टाइम रजिस्ट्रेशन के चलते निशुल्क फॉर्म भरा जा रहा है। इस कारण काफी संख्या में आवेदन आते हैं। जितने आवेदन आते हैं, उस हिसाब से परीक्षा सेंटर, पेपर प्रिंटिंग व अन्य व्यवस्थाएं करवाने में काफी खर्चा आता है। ऐसे में अब आवेदन शुल्क वसूलने की तैयारी की जा रही है।
परीक्षा में केवल उन्हीं अभ्यर्थियों से ही शुल्क वसूला जाए, जो प्रतियोगी परीक्षा का फॉर्म भरने के बाद पेपर देने नहीं आए। इनमें यदि किसी अभ्यर्थी किन्हीं परिस्थितियों में पेपर देने नहीं आता है तो उसके लिखित निवेदन पर फीस नहीं ले जाएगी। दोनों योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से कई परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। पिछले दिनों में बोर्ड की कई परीक्षाओं में अभ्यर्थी अनुपस्थित रहने से काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। अब बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज व सचिव भागचंद बधाल ने इसके संकेत दिए हैं। दोनों ने इसकी तैयारी भी कर ली है। सचिव भागचंद बधाल ने सोशल मीडिया एक्स पर बताया कि काफ़ी अभ्यर्थी फॉर्म भरने के बाद परीक्षा में नहीं बैठते जिससे सार्वजनिक धन व संसाधनों का काफ़ी अपव्यय होता है । हमारा सोचना है कि ऐसे अभ्यर्थी के परीक्षा फीस लगनी चाहिए । पिछले समय एक परीक्षा में 28 प्रतिशत अभ्यर्थी ही उपस्थित हुए। यह अत्यंत गंभीर विषय है । हमें व्यवस्था सभी के लिए करनी पड़ती है जिससे आमजन की जेब से आने वाले धन का अपव्यय होता है।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से 17 नवम्बर से स्कूल लेक्चरर (संस्कृत शिक्षा विभाग) परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमें भी अभ्यर्थियों की उपस्थित मात्र 30 फीसदी रही। हालांकि इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला इस परीक्षा में पद मात्र 52 ही थे। इसके अलावा सामान्य ज्ञान का पेपर और विषय के पेपर अलग-अलग शहरों में आने व दोनों पेपरों में दो से तीन दिन का अंतर होने के कारण अभ्यर्थी पेपर देने नहीं आए। इधर अब आरपीएससी भी अभ्यर्थियों से भी परीक्षा शुल्क वसूलने की तैयारी में जुट गई है।