Rajasthan Politics: राजस्थान में बाजरा और ज्वार के बाद अब मूंग, मूंगफली एवं सोयाबीन की MSP पर खरीद को लेकर विवाद हो रहा है।
Rajasthan Politics: राजस्थान में बाजरा और ज्वार के बाद अब मूंग, मूंगफली एवं सोयाबीन की MSP पर खरीद को लेकर विवाद हो रहा है। मूंग, मूंगफली एवं सोयाबीन की फसलों पर MSP का मुद्दा उठाते हुए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भजनलाल सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की गारंटी किसानों को 'नुकसान' और पूंजीपतियों को नियम विरुद्ध 'भुगतान' है।
मालूम हो कि भजनलाल सरकार ने विधानसभा में लगाए गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि इस साल बाजरे की MSP पर खरीदारी नहीं की जाएगी। सरकार के इस निर्णय के बाद विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
डोटासरा ने कहा कि किसानों को 'नुकसान' और पूंजीपतियों को नियम विरुद्ध 'भुगतान' भाजपा की गारंटी है। प्रदेश के किसानों को मूंग, मूंगफली एवं सोयाबीन की फसल पर MSP नहीं मिलने से करीब 9 हजार करोड़ का घाटा हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार की अव्यवस्थाओं के कारण इन फसलों की MSP पर खरीद का 50% लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ, जिसकी वजह से प्रदेश का अन्नदाता मजबूरन अपनी फसल MSP से नीचे बाजार मूल्य पर बेचने को मजबूर हैं।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार एक तरफ किसानों को 6 हजार सम्मान निधि का दिखावा करती है और दूसरी तरफ खेती पर टैक्स लगाकर एवं फसल की खरीद निर्धारित MSP पर न करके उन्हें कर्ज़ में धकेलती है। भाजपा सरकार की इन्हीं किसान विरोधी नीतियों के कारण आज प्रदेश के 1.05 करोड़ किसान 1.74 लाख करोड़ के कर्ज़ में डूबे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई और 21 लाख किसानों का 14 हजार करोड़ कर्ज माफ किया। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को बार-बार पत्र लिखकर राष्ट्रीयकृत बैंकों से किसानों के बकाया ऋण माफी की मांग की और राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वसन दिया।
डोटासरा ने कहा कि मित्र पूंजीपंतियों का 26 लाख करोड़ का कर्ज माफ करने वाली भाजपा सरकार ने न तो किसानों का कर्ज माफ किया, न उन्हें फसल का सही दाम दिया और न ही उनके कल्याण के लिए कोई नीति बनाई।
बताते चलें कि इससे पहले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले हर भाषण में प्रधानमंत्री जी एवं पूरी भाजपा “मोदी की गारंटी” बोलते थे पर अब ये गारंटी केवल जुमला साबित हो रही है क्योंकि न ये सरकार हमारी योजनाओं को चालू रख पा रही है और न ही अपने वादे पूरे कर पा रही है।