बांध के डूब क्षेत्र में 35 गांव भी आ रहे हैं, जहां 8 से 10 हजार आबादी बताई जा रही है। इसके लिए जमीन अवाप्ति और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्रक्रिया चल रही है।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी बड़ा हिस्सा राम जल सेतु लिंक परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) के तहत बनने वाले डूंगरी बांध के डूब क्षेत्र से प्रभावित हो रहा है। अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया स्टडी करेगा कि इससे वन्यजीवों, अभयारण्य और वन क्षेत्र पर किस तरह प्रभाव पड़ेगा। इसमें थ्री-सीजन कंसेप्ट पर काम होगा, जो करीब 9 महीने चलेगा। इसमें मानसून और उसके बाद के सीजन पर मुख्य रूप से फोकस रहेगा। इंस्टीट्यूट की टीम अगले माह मौके पर काम शुरू कर देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही बांध का एरिया तय होगा।
इसके बाद ही जल संसाधन विभाग वन विभाग में एनओसी आवेदन के लिए पात्र होगा। विभागीय स्तर पर भी सर्वे कराया जा रहा है। डूब क्षेत्र से रणथम्भौर टाइगर रिजर्व और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी का 2200 से 3700 हेक्टेयर हिस्सा प्रभावित होने की आशंका है।अधिकारियों का दावा है कि बांध को इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे की टाइगर रिजर्व का कम से कम एरिया आए।
बांध के डूब क्षेत्र में 35 गांव भी आ रहे हैं, जहां 8 से 10 हजार आबादी बताई जा रही है। इसके लिए जमीन अवाप्ति और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्रक्रिया चल रही है। मोरेल नदी भी इसमें मिल रही है, जिसका कुछ हिस्सा भी डूब क्षेत्र में आएगा।
डूंगरी बांध बनास नदी पर बनना है, जो सवाईमाधोपुर जिले में है। यह हिस्सा रणथम्भौर और कैलादेवी वाइल्डलाइफ सेंचुरी की दोनों की पहाड़ियों के बीच है। बनास नदी का कुछ हिस्सा भी रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में आ रहा है। बांध का कुल डूब क्षेत्र करीब 12000 हेक्टेयर है। बांध की क्षमता 1600 मिलियन क्यूबिक मीटर रखना प्रस्तावित है, जो बीसलपुर बांध से डेढ़ गुना से ज्यादा है। बीसलपुर बांध के छलकने के बाद ओवरफ्लो पानी डूंगरी बांध आएगा।