चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सा अधिकारी के 1700 पदों पर सीधी भर्ती के तहत चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सा अधिकारी के 1700 पदों पर सीधी भर्ती के तहत चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होने जा रही है। लेकिन इससे पहले ही भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं, विशेषकर ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी में चयनित अभ्यर्थियों को लेकर। कुछ अभ्यर्थियों ने आरोप लगाए हैं कि जिस श्रेणी में सालाना पारिवारिक आय 8 लाख रुपए से कम होने की शर्त है, वहां फर्जीवाड़ा कर लाभ उठाया जा रहा है।
आरोपों के मुताबिक, कुछ अभ्यर्थी अपने वैवाहिक स्थिति को छिपाकर स्वयं को ’अविवाहित’ घोषित कर रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी सरकारी सेवा में कार्यरत है। वहीं, कई अन्य मामलों में स्वयं और पिता की आय को छिपाकर ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट हासिल किया गया है। इस संबंध में चयन प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच के लिए चिकित्सा विभाग की प्रमुख शासन सचिव को पत्र भी लिखा गया है। राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (शीफू) में दस्तावेज सत्यापन के लिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 365 अभ्यर्थियों की सूची राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई है।
इस पूरे मामले को लेकर एक्टिविस्ट व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी का लाभ केवल उन जरूरतमंदों को मिलना चाहिए जो वास्तव में इसके पात्र हैं। आज निजी मेडिकल कॉलेजों में एक करोड़ रुपये तक की फीस जमा करने वाले भी इस श्रेणी में चयनित हो रहे हैं, यह न सिर्फ अनुचित है बल्कि योग्य लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के अधिकारों का हनन भी है।
उन्होंने सुझाव दिया कि दस्तावेज सत्यापन के समय अभ्यर्थी व उनके सभी आश्रित परिवारजन की इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) अनिवार्य रूप से देखी जाए। जिनका आइटीआर नहीं है, उनके लिए न्यायिक शपथ पत्र लिया जाए और विवाहित-अविवाहित की स्थिति स्पष्ट करने के लिए आधिकारिक प्रमाण की मांग की जाए।