SIR 2025: बीएलओ की जिम्मेदारी और बढ़ी। मुख्य मकसद फर्जी, डुप्लीकेट और मृत मतदाताओं को चिह्नित करना।
Election Commission of India: जयपुर/नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को पूरी तरह साफ-सुथरा बनाने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लेने का फैसला किया है। देश में चल रही विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया में सबसे पहले पश्चिम बंगाल में AI तकनीक का इस्तेमाल होगा। इसका मुख्य मकसद फर्जी, डुप्लीकेट और मृत मतदाताओं को चिन्हित करना है।
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि AI चेहरे की पहचान (Facial Recognition) तकनीक से मतदाता सूची में मौजूद लाखों फोटो का मिलान करेगा। इससे एक ही व्यक्ति का कई जगहों पर पंजीकरण या किसी और की फोटो का गलत इस्तेमाल तुरंत पकड़ा जा सकेगा। अधिकारी ने कहा, "प्रवासी मजदूरों और दूसरे लोगों की फोटो के दुरुपयोग की शिकायतें बढ़ी हैं, इसलिए हम एआई को हथियार बना रहे हैं।"
हालांकि तकनीक के बावजूद बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की भूमिका सबसे अहम रहेगी। घर-घर जाकर फोटो लेना, फॉर्म भरवाना और हस्ताक्षर का सत्यापन करना अभी भी बीएलओ ही करेंगे। सबसे बड़ी बात – अगर गणना के बाद भी कोई फर्जी या मृत मतदाता सूची में रह जाता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित बीएलओ पर होगी।
हरियाणा चुनाव में ब्राजीली मॉडल की फोटो वाले फर्जी वोटर आईडी का मामला सामने आने और राहुल गांधी के सवालों के बाद चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ गया था। माना जा रहा है कि AI तकनीक से अब ऐसी गड़बडिय़ां लगभग नामुमकिन हो जाएंगी। चुनाव आयोग का साफ कहना है एआई "तकनीक सहायक है, लेकिन मतदाता सूची की शुद्धता की गारंटी बीएलओ ही देंगे।"