भूमिगत पदमार्गों की 'दुर्दशा' ही कर रही राहगीरों को दूर
जयपुर. शहर के चौराहों पर पैदल यात्रियों के लिए सुगम राह की जरूरत तीन दशक पहले ही समझ ली गई। इसे देखते हुए अजमेरी गेट पर 1992 में पहला भूमिगत पदमार्ग (सब-वे) बनाया गया, लेकिन जेडीए और नगर निगम के अफसर 32 साल बाद भी इसे उपयोगी नहीं बना पाए हैं। ऐसे ही हालात जवाहर सर्कल स्थित दो भूमिगत सब-वे और सवाई मानसिंह अस्पताल स्थित भूमिगत पदमार्ग के हैं, ये भी अनदेखी के चलते उपयोगी नहीं हो पाए हैं, जबकि इनके निर्माण पर जेडीए ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं। पत्रिका रिपोर्टर ने बुधवार को शहर के पदमार्गों की पड़ताल की तो लगा इनकी 'दुर्दशा' ही राहगीरों को इनसे दूर कर रही है। पदमार्गों में कचरा-गदंगी के ढेर मिले। जानकारी के लिए न सूचना पट्ट, न कोई संकेतक लगा रखे हैं। सिर्फ अजमेरी गेट पदमार्ग पर ही नाम लिखा मिला। वहीं राहगीर ट्रैफिक के बीच से ही सड़क पार करते दिखाई दिए।
अजमेरी गेट पदमार्ग में जगह-जगह गंदगी मिली। दो गार्ड बैठे मिले। बिजली तार बिखरे व टूटे पड़े हैं। अंदर आकर्षक पेंटिंग्स भी बनी हुई हैं, लेकिन उन पर धूल जमीं हुई हैं। सिढ़ियां टूटी हुई है। लाइट की जगह 6 रोड लाइटें दीवारों पर लगा रखी है। यादगार के पास दुकानदारों ने बताया कि हरमाड़ा डम्पर हादसे के बाद इसे फिर से खोला गया। जल्दबाजी में रोड लाइटें ही लगा दी गई, लेकिन गेट पर गंदगी पड़ी होने से लोग इनमें जाने से बचते हैं।
जवाहर सर्कल पर जेएलएन मार्ग और एयरपोर्ट की ओर दो भूमिगत सब-वे बने हैं। इनका प्रवेश ऐसी जगह है, जहां पैदल यात्रियों को पता तक नहीं चल पाता है। न यहां कोई सूचना पट्ट लगा हुआ है, न ही कोई गार्ड मिला। दोनों सब-वे में जगह-जगह गंदगी व कचरे के ढेर पड़े मिले। लाइट के नाम पर कुछ नहीं है। बिजली के बॉक्स खुले पड़े हैं। सब-वे अंदर दुकानें बंद पड़ी है।
सवाई मानसिंह अस्पताल को ट्रोमा सेंटर से जोड़ने के लिए भूमिगत मार्ग के प्रवेश और निकास ऐसी जगह बना रखे हैं, जिसका लोगों को पता तक नहीं हैं। एक प्रवेश द्वार के बाहर गाड़ियां खड़ी मिली। अंदर मेडीकल के लिए 22 दुकानें बनाई गई, जिनमें से 8 दुकानें बंद मिली, 2 में रजाई-गद्दे भरे मिले। अंदर ही दोपहिया वाहन खड़े मिले। दुकानदारों ने बताया कि कुछ डॉक्टर व जिन लोगों को इस मार्ग का पता होता है, वे ही आते-जाते हैं।
जानकारों का कहना है कि अजमेरी गेट भूमिगत पदमार्ग का तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने अक्टूबर 1992 में उद्घाटन किया। कई बार यह बंद रहा, तो कई बार इसे खोला गया। ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की मीटिंग में भी इसका मामला उठ चुका है। नगर निगम ने पदमार्ग में बाजार विकसित करने की योजना भी बनाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं जवाहर सर्कल पर बनाए गए दोनों भूमिगत सब-वे में 20 दुकानें (10-10 दुकानें) बनी हुई हैं। इन सब-वे को मार्च 2024 में चालू कर दिया गया, लेकिन डेढ़ साल बाद भी जेडीए इन दुकानों को नहीं खुलवा पाया है। जेडीए अधिकारियों के अनुसार, पहले इन दुकानों को किराए पर चलाने की योजना बनाई, लेकिन बाद में इन्हें ऑक्शन करने का निर्णय लिया गया, आज तक दुकानें ऑक्शन नहीं हुई।