Fraud involving three-digit VIP numbers: जयपुर। परिवहन विभाग के थ्री डिजिट वीआइपी नंबरों के फर्जीवाड़े मामले में नया खुलासा हुआ है। विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों ने भी फर्जी तरीके से वीआइपी नंबर हासिल कर लिए। किसी ने अपने नाम तो किसी ने परिजन के वाहनों के नाम पर पंजीयन करा लिया।
Fraud involving three-digit VIP numbers: जयपुर। परिवहन विभाग के थ्री डिजिट वीआइपी नंबरों के फर्जीवाड़े मामले में नया खुलासा हुआ है। विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों ने भी फर्जी तरीके से वीआइपी नंबर हासिल कर लिए। किसी ने अपने नाम तो किसी ने परिजन के वाहनों के नाम पर पंजीयन करा लिया। हाल ही परिवहन कार्यालय से जारी नोटिस अब इन अधिकारियों और कार्मिकों के घरों तक पहुंचने पर हड़कंप मच गया है।
अब इन्हें भी वाहनों का भौतिक सत्यापन कराने के लिए आरटीओ कार्यालयों में आना पड़ेगा। जगतपुरा आरटीओ कार्यालय में दो दिन में महज 30 फीसदी वाहन ही दस्तावेज का भौतिक सत्यापन कराने पहुंचे। पहले दिन 205 और दूसरे दिन 200 वाहन ही आए। जयपुर में कुल 2129 वाहन नंबरों के मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से अभी 1724 वाहनों का सत्यापन शेष है। यानी 70 फीसदी वाहन स्वामी अब तक वाहन लेकर नहीं आए। आज आखिरी दिन भौतिक सत्यापन होगा।
गौरतलब है कि आरटीओ प्रथम राजेन्द्र सिंह शेखावत ने जयपुर आरटीओ कार्यालय में थ्री डिजिट वीआईपी नंबर के फर्जीवाड़े को पकड़ा था। इसके बाद राजस्थान पत्रिका ने पूरे प्रकरण को एक्सपोज किया था। इसके बाद परिवहन विभाग ने प्रदेशभर में इस फर्जीवाड़े की जांच कमेटी बनाकर कराई थी। विभाग ने संबंधित वाहन मालिकों को नोटिस जारी कर भौतिक सत्यापन के लिए कार्यालय में बुलाया। वाहनों के भौतिक सत्यापन का शनिवार को अंतिम दिन है।
दूसरी तरफ परिवहन विभाग की ओर से आदेश जारी कर कहा गया है कि आरटीओ अधिकारी शपथ दें कि उन्होंने अपने कार्यालय में हुए थ्री डिजिट फर्जीवाड़े मामले में दोषी कार्मिक और बाहरी लोगों के खिलाफ पुलिस थाने में एफआइआर करा दी है। वहीं, पुलिस को रिकॉर्ड उपलब्ध करा दिया है।
अधिकारियों के अनुसार नोटिस मिलने के बाद जो वाहन स्वामी सत्यापन के लिए आए हैं, उनमें से करीब 10 फीसदी के पंजीयन में गफलत हो सकती है। अधिकांश वैध ही हैं। लेकिन जो 70 फीसदी वाहन स्वामी अब तक नहीं आए हैं, उन्हीं में सबसे अधिक फर्जी पंजीयन होने का अनुमान है।
परिवहन विभाग में चर्चित थ्री डिजिट वीआइपी नंबरों का फर्जीवाड़ा राजस्थान पत्रिका ने उजागर किया था। इसके बाद परिवहन विभाग, ईडी और एसीबी की ओर से अलग-अलग कार्रवाई की जा रही है। प्रथमदृष्टया जांच में राज्य के करीब 450 अफसर और कार्मिक दोषी पाए गए हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े से सरकार को 500 से 600 करोड़ रुपए की राजस्व हानि होने का अनुमान है।