जयपुर

राजस्थान में यहां रीडर ने आईएएस के फर्जी हस्ताक्षर कर आदेश जारी किए, जानें क्या है चौंकाने वाला मामला

Rajasthan News : पाली के तत्कालीन जिला कलक्टर नमित मेहता के फर्जी हस्ताक्षर कर रेवन्यू मामलों में आदेश जारी करने वाला रीडर चार साल से यह जालसाजी कर रहा था। कलक्टर के यहां कार्यरत रीडर इससे पहले वर्ष 2020 से 2022 तक उपखंड कार्यालय में तैनात था।

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May 03, 2024

IAS Fake Signature : पाली के तत्कालीन जिला कलक्टर नमित मेहता के फर्जी हस्ताक्षर कर रेवन्यू मामलों में आदेश जारी करने वाला रीडर चार साल से यह जालसाजी कर रहा था। कलक्टर के यहां कार्यरत रीडर इससे पहले वर्ष 2020 से 2022 तक उपखंड कार्यालय में तैनात था। अपने-अपने कार्यकाल के दौरान दो आईएएस ने रिकॉर्ड खंगाले तो फर्जी हस्ताक्षर से जारी कई आदेश सामने आए। अपने ही नाम से जारी ये आदेश देख आईएएस चौंक गए। उन्होंने पाली कोतवाली थाने में रीडर के खिलाफ मामले दर्ज कराए हैं। इन एफआईआर में उन आदेशों का भी हवाला दिया गया है, जिनमें फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं।

पहला मामला आईएएस उत्सव कौशल ने दर्ज कराया। उत्सव कौशल अभी ब्यावर कलक्टर हैं। वे 9 जुलाई 2020 से 13 अप्रेल 2021 तक पाली उपखंड अधिकारी रहे। इस दौरान उनका रीडर मूल सिंह भाटी था। उत्सव कौशल ने अपने उपखंड पाली कार्यकाल के दौरान सभी आदेश जांचे, जिनमें 17 मामलों में फर्जी आदेश जारी करने के मामले सामने आए हैं। फाइलों मेें ऑर्डर शीट व आदेश में रीडर मूलसिंह ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए थे।

अजमेर नगर निगम आयुक्त के भी फर्जी हस्ताक्षर किए

देशलदान उपखंड अधिकारी पाली के पद पर 13 अप्रेल 2021 से 5 जनवरी 2022 तक रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान के दस्तावेज जांचे तो सामने आया कि 32 मामलों की फाइल पर रीडर मूल सिंह भाटी ने उनके फर्जी हस्ताक्षर किए। यहां तक की ऐसे मामले भी सामने आए, जिनमें उनके कार्यकाल से पहले की फाइलों पर भी फर्जी हस्ताक्षर मिले। देशलदान की उपखंड अधिकारी पाली के रूप में पोस्टिंग वर्ष 2021 में हुई थी। जबकि रीडर मूल सिंह ने वर्ष 2020 की फाइलों पर भी उनके हस्ताक्षर कर दिए थे। ये सभी मामले भरण पोषण की अपील से जुड़े हुए थे।

तत्कालीन कलक्टर नमित मेहता ने पकड़ा था मामला

दरअसल फर्जी हस्ताक्षर से आदेश जारी करने का यह मामला सितम्बर 2023 में तत्कालीन पाली कलक्टर नमित मेहता ने पकड़ा था। उनके सामने नामांतकरण संशोधन आदेश की पालना का एक मामला सामने आया था। आदेश उनके नाम से जारी था। उन्होंने मूल फाइल देखी तो पता चला हस्ताक्षर फर्जी थे। पड़ताल में यह करतूत सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलसिंह भाटी की निकली। मूल सिंह भाटी इससे पहले उपखंड अधिकारी का रीडर था। इसके बाद उपखंडी अधिकारी रहे उत्सव कौशल व देशलदान ने भी अपने कार्यकाल के दौरान के रिकॉर्ड खंगाले।

Updated on:
03 May 2024 08:21 am
Published on:
03 May 2024 05:17 am
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