दूदू विधायक व उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने दूदू में पेयजल परियोजनाओं के घोटाले की कराई जांच पर जलदाय विभाग के अफसरों ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। अफसरों ने जांच करने वाले अभियंता को ही नोटिस थमा दिया है।
जयपुर। दूदू विधायक व उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने दूदू के नरैना के 71 गांवों में पेयजल परियोजनाओं के रख-रखाव के नाम पर 92 लाख रुपए का भुगतान उठाने वाली फर्म के गड़बड़झाले की जांच कराई। अब जांच पर जलदाय विभाग के अफसरों ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जलदाय सहायक अभियंता धारा सिंह मीणा से कराई जांच रिपोर्ट में माना गया कि फर्म ने एक कर्मचारी तैनात किया और 35 कर्मचारियों का भुगतान उठाया। अब उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर की गई इस जांच पर जलदाय अधिकारियों ने सवाल उठाए है और जयपुर ग्रामीण अधीक्षण अभियंता हिमांशु मील ने सहायक अभियंता धारा सिंह मीणा को ही नोटिस देकर जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि अन्य जिलों की तरह दूदू जल जीवन मिशन की पेयजल परियोजनाओं में फर्मों के गड़बड़झाले को लेकर बीते डेढ़ साल से हॉट स्पॉट बना हुआ है। फर्मों को बिना काम भुगतान, वित्तीय सीमा से ज्यादा के टेंडर जारी करने के मामलों की जांच हो चुकी है।
अधिशासी अभियंता हिमांशु मील के पास अधीक्षण अभियंता जयपुर ग्रामीण का अतिरिक्त प्रभार है। अब इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि जयपुर ग्रामीण में सहायक अभियंता रहते हुए मील जल जीवन मिशन की पेयजल परियोजनाओं में बिना काम 50 करोड़ के भुगतान मामले में फंसे हुए हैं। इसके बाद भी उनको अधीक्षण अभियंता ग्रामीण का चार्ज देना चर्चा का विषय बना हुआ है।
* जांच किस विभागीय आदेश के तहत की गई
* रिपोर्ट के साथ साक्ष्य व दस्तावेज क्यों नहीं क्यों शामिल नहीं किए
* अधीक्षण अभियंता कार्यालय जांच रिपोर्ट भेजने के साक्ष्य पेश किए जाएं
* जांच की सूचना उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं दी
दूदू में सहायक अभियंता की ओर से नरैना के 71 गांवों में फर्म के गड़बड़झाले की जांच रिपोर्ट पर जलदाय अधिकारियों की ओर से सवाल उठाने के मामले पर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा व जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी से वस्तुस्थिति जानने के लिए कई बार फोन किए लेकिन दोनों ने ही फोन का कोई जवाब नहीं दिया।
यह नियमित प्रक्रिया है। दूदू सहायक अभियंता को नोटिस देकर पूछा है कि जांच विभाग के किस आदेश के आधार पर की गई। क्योंकि दूदू में इस तरह की कोई जांच हुई है इसकी हमे कोई जानकारी नहीं थी। -हिमांशु मील, अधीक्षण अभियंता, जयपुर ग्रामीण