Kotputli Borewell News:: कीरतपुरा में बोरवेल हादसे के बाद शुक्रवार को भी सन्नाटा पसरा हुआ है। प्रशासन ने जेसीबी सहित अन्य मशीनों से दोनों बोरवेल को अब बंद कर दिया गया।
Kotputli Borewell News: कोटपूतली। कीरतपुरा में बोरवेल हादसे के बाद शुक्रवार को भी सन्नाटा पसरा हुआ है। प्रशासन ने जेसीबी सहित अन्य मशीनों से दोनों बोरवेल को अब बंद कर दिया गया। इस दौरान कुछ गिने चुने लोग ही यहां मौजूद रहे।
उधर, मासूम बालिका चेतना की मौत के बाद परिजन अभी भी सदमे में है। बालिका के घर पर गमी का माहौल है। गौरतलब है कि बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय बालिका चेतना को बचाने के लिए प्रशासन और बचाव दलों ने 10 दिनों तक अथक प्रयास किए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
प्रशासन ने सभी संसाधनों का उपयोग किया और रेस्क्यू टीमों ने दिन-रात बचाव अभियान चलाया। चेतना की मासूम मुस्कान अब केवल यादों में रह गई।
बालिका को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाने वाले एनडीआरएफ व एसडीआरएफ सहित नगर परिषद में सीवरेज टीम के जवानों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर समानित किया जाएगा। वहीं प्रशासन ने परिजनों को मुयमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता के लिए प्रस्ताव भी बनाकर भेजा है।
मशीनों का जमघट हटने के बाद गुरुवार को दोनों बोरवेल में जेसीबी से मिट्टी भर कर बंद करवाया। इनको खोदने के लिए निकली मिट्टी के अलावा अन्य स्थानों से मिट्टी लाकर इनको भरा गया है। इससे पहले सुबह दूसरे बोरवेल में 170 फीट नीचे डाले गए 36 इंच व्यास के पाइप को बाहर निकाला गया। दूसरे बोरवेल के दौरान हुए गड्ढे को भरने का कार्य कर इसको समतल किया गया है।
एनडीआरएफ के सहायक कमाण्डेंट योगेश कुमार मीणा ने बताया कि रेस्क्यू में मुय भूमिका जवान महावीर की रही है। वह इससे पहले कई रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो चुका है। इसके अलावा एनडीआरएफ के जवान जयवीर, कादियाल व रावत ने रेस्क्यू योद्धा की तरह कार्य किया है।
नगर परिषद आयुक्त धर्मपाल जाट ने बताया कि रेस्क्यू में सीवरेज टीम में शामिल अनवर टीम के मुखिया थे। इनकी अगुवाई में कृष्णा, दीपक, हरविन्दर, जयप्रकाश व राजू की सुरंग बनाने में विशेष भूमिका रही है। इनको जिला कलक्टर की ओर से प्रशस्ति पत्र प्रदान कर समानित किया जाएगा।
बालिका के बोरवेल में गिरने के बाद हालांकि मां के सब्र का बांध टूट गया था, लेकिन अन्य परिजनों ने धैर्य बनाए रखा। बालिका के परिजन रिश्तेदारों के अलावा ग्रामीण प्रशासन की ढाल बने रहे। हालांकि बाहर से कई लोगों ने परिजनोें को उकसाने का प्रयास किया था, लेकिन परिजनों ने प्रशासन पर विश्वास रखा।
रिश्तेदारों व ग्रामीणों में शामिल जसवंत माठ, धर्मपाल, बालूराम, दौलतराम, गिरधारी, सतवीर व महेन्द्र कुमार ने रेस्क्यू से जुड़े हर कार्य में प्रशासन के साथ खड़े रहे। इन्होंने मां को प्रशासन की ओर से बालिका को निकालने के किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया और समय समय पर इनको ढांढस बंधाया।
रेस्क्यू योद्धाओं के समान ही कई अधिकारी ऐसे थे। जिनकी भूमिका भी सराहनीय रही है। जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि अभियान को लीड कर रहे एसडीएम ब्रजेश चौधरी, एएसपी वैभव शर्मा, उप अधीक्षक राजेन्द्र बुरडक व नगर परिषद आयुक्त धर्मपाल जाट ने लगातार 9 दिन तक घटनास्थल पर मौजूद रहकर सुरंग बनाने में जुटी टीम का सहयोग किया।
टीम व पुलिस के जवानों सहित रेस्क्यू में जुटे कर्मचारियों के लिए 10 दिन तक भोजन की व्यवस्था प्रशासन की ओर से अलग अलग स्तर पर की गई। अभियान में जुटे लोगों के लिए दोपहर व रात में खाने की थाली के पैकेट मुहैया कराए गए।