Gender reassignment surgery : राजस्थान में सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (लिंग परिवर्तन सर्जरी) का चलन बढ़ रहा है।
राजस्थान में सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (लिंग परिवर्तन सर्जरी) का चलन बढ़ रहा है। ऐसे युवक और युवतियां, जिन्हें अपने जन्म के समय मिले जेंडर के साथ खुद को सहज महसूस नहीं होता, अब बड़ी संख्या में अपनी पहचान बदलने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें युवाओं की भागीदारी सबसे अधिक है और वे मेडिकल तौर पर अपनी जेंडर आइडेंटिटी को बदलवाकर नया जीवन शुरू कर रहे हैं।
डॉक्टर नकुल सोमानी बताते हैं कि एक वर्ष में उन्होंने करीब 50 सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी की हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या पुरुषों की है, जो स्वयं को महिला के रूप में पहचानते हैं और महिला बनने के लिए मेडिकल प्रोसेस से गुजरते हैं। यह रिपोर्ट तो जयपुर के सिर्फ एक निजी हॉस्टिपल की है। डॉक्टर के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत युवक और 40 प्रतिशत युवतियां जेंडर चेंज करा रही हैं। यह रुझान बताता है कि समाज में अब लोग अपनी वास्तविक भावनाओं और पहचान को स्वीकारने का साहस कर रहे हैं।
डॉ. सोमानी बताते हैं कि जेंडर परिवर्तन की प्रक्रिया अत्यंत जटिल होती है और इसमें कई चरण शामिल होते हैं। सर्जरी से पहले मरीज को चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन से गुजरना पड़ता है। इसके लिए सरकारी नियमों के तहत टीजी (ट्रांसजेंडर) कार्ड अनिवार्य है। व्यक्ति को पहले योजना में आवेदन करना होता है, उसके बाद उसे एनओसी जारी होती है। इसी के आधार पर आगे मेडिकल प्रक्रिया शुरू की जाती है।
जेंडर चेंज प्रक्रिया के दौरान कई तरह की सर्जरी होती हैं। जिनमें ब्रेस्ट सर्जरी, वॉइस सर्जरी, फेस सर्जरी और हार्मोन थेरेपी प्रमुख हैं। हार्मोन बदलने के साथ शरीर के कई हिस्सों में परिवर्तन लाया जाता है। पुरुष से महिला बनने की प्रक्रिया में चेहरे के अनचाहे बाल हटाए जाते हैं और स्त्री स्वरूप के अनुसार चेहरा तैयार किया जाता है। वहीं महिला से पुरुष बनने की प्रक्रिया में हार्मोन थैरेपी और विशेष सर्जरी के जरिए पुरुषों जैसे शारीरिक लक्षण विकसित किए जाते हैं।
जेंडर परिवर्तन सर्जरी सस्ती नहीं होती है। डॉक्टर सोमानी के अनुसार पूरे प्रोसेस में करीब पांच लाख रुपए तक का खर्च आता है। हालांकि सरकारी स्कीम के तहत मरीजों को आर्थिक सहायता दी जाती है। सरकारी योजना में ब्रेस्ट सर्जरी पर 1.20 लाख रुपए तक की सहायता, लिंग परिवर्तन सर्जरी में 1.30 लाख रुपए की मदद मिलती है।
डॉक्टर सोमानी के अनुसार जेंडर परिवर्तन का एक मात्र कारण बताना संभव नहीं है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की परिस्थितियां और अनुभव अलग होते हैं। कई युवक-युवतियां बताते हैं कि उन्हें जन्म से मिला जेंडर कभी अपना नहीं लगा। कुछ युवकों को लगता है कि उनके अंदर स्त्रियों जैसे हार्मोन अधिक हैं, उनकी आवाज या शरीर की बनावट स्त्री जैसी है। इसी तरह कई युवतियों को लगता है कि उनका शरीर अधिक पुरुषोचित है। हालांकि सफल सर्जरी के बाद अधिकांश लोग अपने नए जीवन के साथ सहज महसूस करते हैं और सामान्य रूप से जीवन जीते हैं।
राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की वास्तविक संख्या को लेकर अलग-अलग आंकड़े मौजूद हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार करीब 25 हजार ट्रांसजेंडर ऐसे हैं जिनके पास ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र उपलब्ध है। लेकिन बिना प्रमाण पत्र वाले ट्रांसजेंडर्स की संख्या काफी अधिक मानी जाती है। अनुमान है कि राज्य में बिना पंजीकृत ट्रांसजेंडर आबादी डेढ़ लाख से भी ज्यादा हो सकती है।