मोदी 2.0 की तरह एनडीए की इस सरकार में राजस्थान एक बार फिर से 'पावरफुल' बनकर उभरा है।
अरविन्द सिंह शक्तावत. मोदी 2.0 की तरह एनडीए की इस सरकार में राजस्थान एक बार फिर से 'पावरफुल' बनकर उभरा है। राजस्थान से भाजपा को भले ही 14 सीटें मिलीं, लेकिन राजस्थान का दबदबा दिल्ली में बना रहेगा। पिछली मोदी सरकार में राजस्थान के पांच सांसद पावरफुल पदों पर थे और इस बार भी पांच सांसद पावरफुल बन गए हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी राजस्थान से ही हैं।
कोटा सांसद ओम बिरला के दोबारा लोकसभा अध्यक्ष चुनने के साथ ही राजस्थान केन्द्र सरकार में उन राज्यों में शामिल हो गया, जिनका दिल्ली में सबसे ज्यादा दबदबा है। देश के जो छह प्रमुख संवैधानिक पद हैं, उनमें से दो पर राजस्थान के नेता बैठेंगे। दोनो सदनों ( लोकसभा व राज्यसभा) को चलाने का जिम्मा राजस्थानियों के पास ही रहेगा। केन्द्र सरकार में भी राजस्थान की मजबूत हिस्सेदारी रहेगी। केन्द्र सरकार में जिन छह राज्यों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। उनमें राजस्थान भी शामिल है। राजस्थान के अलावा गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक उन राज्यों में शामिल हैं, जिनकी हिस्सेदारी केन्द्र सरकार में सबसे ज्यादा है।
भारत की जो प्रोटोकॉल सूची है, उसके प्रमुख छह पदों में से दो पद राजस्थान के हिस्से में हैं। प्रोटोकॉल सूची में दूसरे नम्बर पर उपराष्ट्रपति आते हैं। राजस्थान के ही जगदीप धनखड़ वर्तमान में उपराष्ट्रपति हैं। प्रोटोकॉल सूची में छठे नम्बर पर लोकसभा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद माना गया है। लोकसभा अध्यक्ष एक बार फिर से राजस्थान के हिस्से में आ गया है।
नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने थे, तभी से उनकी सरकार में राजस्थान का दबदबा रहा। मोदी 2.0 में राजस्थान के चार सांसद मंत्री थे और इस बार भी चार मंत्री बनाए गए हैं। पिछली मोदी सरकार में तीन लोकसभा और एक राजस्थान के राज्यसभा सांसद मंत्री बने थे। इस बार लोकसभा से चुने गए चार सांसदों को मंत्री बनाया गया है। चार में से दो भूपेन्द्र यादव और गजेन्द्र सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि अर्जुनराम मेघवाल को केन्द्रीय कानून राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) और अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को कृषि राज्यमंत्री बनाया गया है। मोदी 2.0 में भी दो सांसद कैबिनेट मंत्री थे। मोदी के पहले कार्यकाल में भी राजस्थान की मजबूत भागीदारी थी, लेकिन किसी भी सांसद को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल में शुरुआत में एक ही सांसद को मंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में 2017 आते-आते यह संख्या पांच हो गई थी।