Rajasthani Havelis : राजस्थान में मौजूद वक्त में 10 हजार हवेलियां हैं। इन धरोहरों को ढहने से बचाने और संरक्षित करने के लिए बड़ी मुहिम शुरू की जा रही है। सरकार नई योजना बनाने की तैयारी कर रही है।
Rajasthani Havelis : जयपुर। राजस्थान की ढहती धरोहरों को बचाने और संरक्षित करने के लिए बड़ी मुहिम शुरू की जा रही है। राज्य सरकार ने खत्म होती हवेलियों को बचाने के लिए प्रवासी राजस्थानियों को साथ लिया है। शेखावटी, नवलगढ़, सीकर, जैसलमेर, बीकानेर, जयपुर, झुंझुनूं और चूरू जैसे कई शहरों में 9 से 10 हजार हवेलियां हैं, जिनमें से ज्यादातर प्रवासियों राजस्थानियों की है। जीर्ण-शीर्ण स्थिति में कई हवेलियों पर कब्जे हो गए तो कुछ को तोड़कर कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स बना दिए गए हैं।
प्रवासी राजस्थानी दिवस से ठीक पहले मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो अफसर हरकत में आए। मंशा है कि मौजूदा हवेलियां को बचाने के लिए उन्हें आमदनी का स्थाई मॉडल बना दिया जाए, ताकि इनका संरक्षण सके। इसके लिए विभिन्न गतिविधियों के संचालन की भी छूट दी जा सकती है।
प्रवासी राजस्थानियों की ज्यादातर हवेलियों पर ताले लगे हैं, जिससे वे जीर्णशीर्ण स्थिति में पहुंच गईं हैं। सरकार की मंशा है कि ऐसी सभी हवेलियों को हेरिटेज टूरिज्म से जोड़ा जाए। यही जानकारी प्रवासी राजस्थानियों को भी दी जा रही है। उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि सरकार वहां बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगी और वहां किसी तरह का कब्जा या दिक्कत नहीं आए, इसके लिए सुरक्षा भी देगी, ताकि वे हवेलियों का पुनर्निर्माण कर उन्हें उपयोगी बना सके।
1- हैरिटेज गेस्ट हाउस और होटल।
2- आर्ट गैलेरी, म्यूजियम।
3- क्राफ्ट व कल्चरल सेंटर
4- म्यूजिक ट्रेनिंग सेंटर
5- पारंपरिक फूड सेंटर व सांस्कृतिक गतिविधियां।
1- जयपुर में कई हवेलियां कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स में तब्दील हो चुकी हैं।
2- शेखावटी इलाके में करीब 500 हवेलियां तोड़ी जा चुकी हैं।
3- नवलगढ़ में 300 में केवल 165 हवेलियां बचीं हैं।
4- बीकानेर में 2 हजार से अधिक हवेलियां थीं, अब संख्या घटकर करीब 1100 रह गईं हैं।
जिन क्षेत्रों में ये हवेलियां हैं, उन्हें 'वॉकेबल एरिया' घोषित किया जाएगा। यानि, ऐसे क्षेत्रों में पैदल घूमने, देखने और स्थानीय संस्कृति को महसूस करने की सुविधा बढ़ाई जाएगी। इससे पर्यटन और व्यापार दोनों को फायदा होगा।
झुंझुनूं मांडवा की इस हवेली को मोहनलाल सर्राफ ने बनवाया था। यह हवेली महीन पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस हवेली को सर्राफों से जोशी परिवार ने खरीद लिया है। हवेली की दुर्दशा को सुधार करके होटल में तब्दील करना चाहते हैं। कुछ कमरे तैयार भी हो गए हैं।
प्रवासी राजस्थानियों की कई हवेलियां जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। इन हवेलियों के संरक्षण पर चर्चा हुई है। हैरिटेज टूरिज्म से जोड़ने के लिए पर्यटन विभाग काम कर रहा है।
सुरेश ओला, आयुक्त, ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन (बीआईपी)