Modi Cabinet in Rajasthan MPs : मोदी मंत्रिपरिषद में इस बार राजस्थान के चार सांसदों को 6 विभाग दिए गए है।
Modi Cabinet in Rajasthan MPs : एनडीए सरकार 3.0 कार्यकाल में राजस्थान के चार मंत्रियों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है। कैबिनेट मंत्री भूपेन्द्र यादव और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल को दोबारा वही मंत्रालय दिए गए, जो पिछली बार थे। यादव के पास पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और मेघवाल के पास कानून और न्याय मंत्रालय का जिम्मा रहेगा। साथ में संसदीय कार्य मंत्रालय में भी राज्य मंत्री रहेंगे।
कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय सौंपा गया है। राजस्थान के लिहाज से यह मंत्रालय महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रदेश में पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के लिहाज से काफी संभावनाएं है। पिछली सरकार में शेखावत के पास जलशक्ति मंत्रालय था। उधर,केन्द्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का जिम्मा दिया गया है। कैबिनेट मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ चौधरी राज्य मंत्री के तौर पर काम करेंगे। पोर्टफोलियो मिलते ही चारों मंत्री सक्रिय हो गए।
-शहर और ग्रामीण पर्यटन का अलग-अलग सर्किट बनने की संभावना है।
-प्रदेश सांस्कृतिक विरासत, हैरिटेज का भी केन्द्र है। इस दृष्टि से अलग-अलग कॉरिडोर विकसित किए जा सकते हैं।
-पुष्कर, खाटूश्यामजी एवं सालासर बालाजी को महाकालेश्वर एवं काशी कोरिडोर की तर्ज पर विकसित करने से प्रदेश में धार्मिक पर्यटन बढावा मिलेगा।
-नाइट टूरिज्म को बढावा देने में मदद की जा सकती है।
-प्रमुख पर्यटन शहरों के बीच कनेक्टिविटी का दायरा बढ़े। नागरिक उड्डयन मंत्रालय, सड़क परिवहन और रेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम हो।
-प्रदेश में नए होटल और टूरिज्म मैनेजमेंट संस्थान खुलें।
-केवल पौधरोपण के बजाय वन पुनर्स्थापन को बढ़ावा देने के आधार पर बजट मिले।
-प्राकृतिक जलवायु समाधानों के क्रियान्वयन पर फोकस करने की जरूरत।
-राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व सहित वन क्षेत्रों में वर्षा जल संचय सुनिश्चित करने के लिए संरचनाओं के विकास में मदद की जरूरत। साथ ही टाइगर व लेपर्ड रिजर्व में वन्यजीवों के लिए प्रेबेस यानी भोजन बढ़ाया जाए। इसके लिए अलग से योजना बने ताकि उनकी आबादी में आवाजाही न हो।
-जैव विविधता संरक्षण के लिए घर से वन तक जैव-विविधता के संरक्षण के लिए विशेष योजना बने।
-टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में आने वाले गांवों के री-लोकेशन को लेकर नई योजना की जरूरत। प्रक्रिया आसान और सरल बने और मुआवजा राशि बढाई जाए।
-राजस्थान की भूमि चीतों को बसाने के लिए बेहतर है। चीता प्रोजेक्ट को लेकर खाका तैयार किया जाए। कमेटी भी इस पर मुहर लगा चुकी है। गत दिनों चीते की यहां घुसपैठ भी देखी गई।
-प्रदेश में हरियाली बढ़ाने, चारागाहों की स्थिति में सुधार करने, वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने समेत कई अहम कार्य पर फोकस हो।
-वर्ष 2015-16 के बजट में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया था, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी, लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो पाया। अब किसानों को उम्मीद।
-खाद, बीज और कीटनाशक गुणवत्तापूर्ण होने के साथ समय पर उचित दर पर मिले तो खेती की लागत कम आए।
-कृषि सुधारों के लिए आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन-विपणन, सुधार अधिनियम 2017 का ड्राफ्ट सभी राज्यों को भेजा था। इसमें किसानों को एमएसपी से कम फसलों का क्रय-विक्रय नहीं हो, एमएसपी पर ही मंडियों में बोली लगे, 7 साल बाद भी ये अधिनियम लागू नहीं हो पाया।
-आयात-निर्यात नीति स्थानीय किसानों के अनुकूल बने। देश की 50 फीसदी सरसों अकेले राजस्थान में होती है, फिर भी सरकार पॉम ऑयल का आयात करती है। सरकार ने आयात शुल्क शून्य कर दिया है, जिससे सरसों के दामों में गिरावट आ रही है। प्रदेश में सरसों को बढ़ावा मिलने की दृष्टि से काम हो।