जयपुर

राजस्थान की करीब 6 हजार ग्राइंडिंग यूनिट पर संकट, 7.5 लाख मजदूरों का अधर में भविष्य, जानें क्यों

Rajasthan News : राजस्थान सरकार के लिए बुरी खबर। प्रदेश की 6 हजार से ज्यादा ग्राइंडिंग यूनिटों के अस्तित्व को लेकर संकट खड़ा हो गया है। साथ ही 7.5 लाख मजदूरों का भविष्य अधर में पड़ गया है। दूसरी सबसे बड़ी बात है कि खनिज तो राजस्थान का है और मुनाफा ले रहे हैं अन्य प्रदेश। जानें वजह।

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ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

सुनील सिंह सिसोदिया
Rajasthan News :
राजस्थान सरकार जहां एक ओर राज्य में निवेश लाकर नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के पारंपरिक ग्राइंडिंग उद्योग गहरे संकट की ओर बढ़ रहे हैं। प्रदेश में उत्पादित फेल्सपार, क्वार्टज और माइका जैसे कच्चे खनिज बड़ी मात्रा में गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की 6 हजार से ज्यादा ग्राइंडिंग यूनिटों के अस्तित्व को लेकर संकट खड़ा हो गया है।

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7.5 लाख मजदूरों का भविष्य अधर में

एक यूनिट में औसतन 125 मजदूर कार्यरत हैं। यदि सभी 6 हजार यूनिटें बंद होती हैं, तो 7.50 लाख से अधिक श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। अब तक करीब 2 हजार यूनिटें बंद हो चुकी हैं।

राजस्व में 25 से 30 करोड़ का रोजाना नुकसान

उद्योग संचालकों का दावा है कि यदि पाउडर यहीं तैयार हो और यहीं से भेजा जाए, तो सरकार को जीएसटी के रूप में प्रतिदिन 25 से 30 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है। लेकिन अब केवल रॉयल्टी ही मिल रही है। इसके अलावा अरबन सेस, वाटर सेस और बिजली ड्यूटी जैसे अन्य टैक्स भी प्रभावित हो रहे हैं।

किन जिलों में यूनिटें

राज्य के जयपुर, सीकर, उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, गंगानगर, अजमेर, ब्यावर सहित अन्य कई जिलों में करीब 6 हजार ग्राइडिंग यूनिटें लगी हैं। खानें भी मुख्यत: इन जिलों में स्थित हैं, जिनकी संख्या लगभग 700 है।

80 फीसदी पाउडर गुजरात में सप्लाई

उद्यमियों के अनुसार, राजस्थान में प्रतिदिन करीब 3 लाख टन खनिज पाउडर का उत्पादन होता था, जिसमें से 80 फीसदी से ज्यादा गुजरात के मोरवी भेजा जाता था, जहां देश की सबसे बड़ी टाइल्स इंडस्ट्री है। इसके अलावा यूपी के खुर्जा, हरियाणा के बहादुरगढ़ और गुजरात के बड़ौदा में भी पाउडर की मांग है।

हाईकोर्ट की रोक हटने से टूटी उद्योगों की कमर

करीब दो साल पहले तक राज्य सरकार ने इन खनिजों के कच्चे रूप में बाहर जाने पर प्रतिबंध था, जिससे राजस्थान में ही पाउडर निर्माण को बढ़ावा मिला और ग्राइंडिंग यूनिटों की संख्या 6 हजार के पार पहुंच गई। हाईकोर्ट द्वारा रोक हटाए जाने के बाद अब बाहर के राज्य सीधे कच्चा माल ले जा रहे हैं, जिससे स्थानीय यूनिटें बंद होने की कगार पर हैं।

सरकार उठाए ठोस कदम

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में राज्य सरकार को लैंड टैक्स और अन्य शुल्क लगाने की छूट मिली है। ऐसे में कच्चे माल के बाहर जाने पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर सरकार इस पर नियंत्रण कर सकती है और स्थानीय उद्योगों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस बाबत सरकार को कई बार ज्ञापन भी सौंपे हैं।
आशीषपाल पदावत, प्रदेश अध्यक्ष, राज. मिनरल उद्योग संघ

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Published on:
01 Aug 2025 10:47 am
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