राजस्थान में सरकारी शिक्षकों ने मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की राशि बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि घोषित मिड-डे-मील का मेन्यू को अतिरिक्त संसाधनों के बिना लागू नहीं किया जा सकता।
जयपुर। राजस्थान में सरकारी शिक्षकों ने मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की राशि बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि घोषित मिड-डे-मील का मेन्यू को अतिरिक्त संसाधनों के बिना लागू नहीं किया जा सकता। बता दें कि 15 सितंबर को शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया। आदेश के मुताबिक मिड-डे-मील में बच्चों को सोमवार, बुधवार, शुक्रवार व शनिवार को रोटी, दाल व सब्जी परोसी जाएगी। मंगलवार को चावल, दाल व सब्जी तथा गुरुवार को दाल, चावल व सब्जीयुक्त खिचड़ी का भोजन करवाया जाएगा। सप्ताह में किसी भी एक दिन स्थानीय मांग के अनुसार भोजन उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि यह आदेश पूरी तरह से अव्यावहारिक है। कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को खाना पकाने की परिवर्तन लागत के रूप में प्रति बच्चा 6.78 रुपए और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को प्रति छात्र 10.17 रुपए का भुगतान किया जाता है।
यह राशि बहुत कम है, और दाल और सब्ज़ियां दोनों उपलब्ध कराना असंभव है। शिक्षकों ने अब मांग की है कि नए मेनू को लागू करने के लिए, कक्षा 1 से 5 के लिए शुल्क बढ़ाकर 10 रुपए और कक्षा 6 से 8 के लिए 15 रुपए किया जाए। उन्होंने कहा कि वे शिक्षा मंत्री को इन बदलावों के बारे में पत्र लिखेंगे और बजट में तर्कसंगत वृद्धि का अनुरोध करेंगे।
गौरतलब है कि 19 सितंबर को भरतपुर के सेवर ब्लॉक के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को अनुशासनात्मक नोटिस जारी किया गया, क्योंकि निरीक्षण में पता चला कि सभी निर्धारित वस्तुएं नहीं परोसी जा रही थीं। इसके बाद, शिक्षक संघों ने सवाल उठाया कि बिना अधिक बजट आवंटन, अधिक रसोइया-सह-सहायक और अतिरिक्त समय के स्कूल नए नियमों का पालन कैसे कर सकते हैं।
शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को दीवारों पर पेंटिंग के माध्यम से साप्ताहिक मेनू प्रदर्शित करने का भी निर्देश दिया है ताकि अभिभावक स्पष्ट रूप से समझ सकें कि किस प्रकार का भोजन परोसा जा रहा है। इसके अलावा, प्रत्येक स्कूल में छात्रों की माताओं या महिला अभिभावकों को आमंत्रित किया जाएगा और उनकी उपस्थिति में भोजन परोसा जाएगा। परोसने से पहले, माताएं भोजन चखकर उसकी गुणवत्ता और स्वाद की रिपोर्ट देंगी। इसके बाद, छात्रों को भोजन परोसा जाएगा।