जयपुर

राजस्थान की बेटी ने कुश्ती में रचा इतिहास, मजदूर पिता के सपने को किया साकार, जीतकर लौटी तो स्वागत में उमड़ा शहर

राजस्थान की बेटी अश्विनी विश्नोई ने कुश्ती जगत में इतिहास रच दिया है। अश्विनी ने एथेंस में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में उज्बेकिस्तान की पहलवान को कई पटकनी लगाई है।

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Aug 05, 2025
राजस्थान की बेटी ने कुश्ती में रचा इतिहास (फोटो- सोशल मीडिया)

जयपुर। भीलवाड़ा जिले के रहने वाली मजदूर की बेटी अश्विनी विश्नोई ने ग्रीस के एथेंस में इतिहास रच दिया है। आर्थिक तंगी और अभावों के बीच के बीच पिता मुकेश विश्नोई ने बेटी के सपनों में रंग भरा। अश्विनी ने भी पिता के सपने को साकार करते हुए एथेंस में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में अंडर-17 के 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

इस खिताबी मुकाबले में अश्विनी ने उज्बेकिस्तान की पहलवान पर एक तरफा जीत दर्ज की। स्वर्णिम सफलता के बाद सोमवार को अश्विनी जब भीलवाड़ा पहुंची तो शहरवासियों ने उसका जबर्दस्त स्वागत किया। बेटी की सफलता से पिता मुकेश की भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि आज बेटी पर परिवार व समाज और पूरे राजस्थान को गर्व है।

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बेटी बोली पापा की मेहनत से साकार हुआ सपना

राजस्थान पत्रिका से बातचीत में अश्विनी ने कहा कि बचपन से ही घर में कुश्ती का माहौल था। 9 साल की उम्र में ही अखाड़े में उतर गई थी। शिव व्यायामशाला में कुश्ती की बारीकियां सीखी। कोच कल्याण विश्नोई ने कुश्ती के दांव-पेंच सिखाए। मैं नियमित रूप से सुबह-शाम 3-3 घंटे अभ्यास करती थी। पिता एक फैक्टरी में मजदूरी करते हैं, लेकिन उन्होंने मेरे सपनों में उड़ान भरने के लिए बहुत संघर्ष किया। उनकी कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बूते ही मैं आज इस मुकाम पर पहुंची हूं।

अगला लक्ष्य एशियाड व ओलंपिक

अश्विन ने कहा कि कुश्ती का पहला खिताब वर्ष 2022 में पटना में रैकिंग टूर्नामेंट का जीता था। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 14 पदक जीत चुकी हूं, जबकि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उसका एथेंस में पांचवा गोल्ड रहा है। अश्विनी ने कहा कि मेरी सफलता के पीछे पिता के साथ ही मेरे कोच की अहम भूमिका है। मेरा अगला लक्ष्य एशियाड व ओलंपिक में पदक जीतना है।

सरकारी सहायता की दरकार

वहीं पिता अपनी बेटी की सफलता से अभिभूत हैं, लेकिन उनकी पीड़ा है कि अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली। मुकेश का कहना है कि बेटी की खातिर कर्ज लिया पर उसे कोई कमी नहीं होनी दी। पांच अंतरराष्ट्रीय गोल्ड जीतने के बावजूद अभी भी आर्थिक रूप से नहीं उबर पाया हूं। जो था वह सब लगा दिया है, देखते हैं अब प्रदेश की सरकार हमारे लिए क्या करती है।

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Updated on:
05 Aug 2025 08:19 am
Published on:
05 Aug 2025 08:08 am
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