राजस्थान में निकाय-पंचायत चुनाव को लेकर पीसीसी गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं।
Rajasthan Panchayat-Nikay Election: राजस्थान में निकाय-पंचायत चुनाव को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शीघ्र कराने के एकलपीठ के 18 अगस्त 2025 के आदेश पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि याचिका दायर करने वालों को प्रशासक बने रहने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। सरकार ने एकलपीठ के आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसके बाद खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी।
निकाय-पंचायत चुनाव पर 6 महीने के निर्णय के बाद पीसीसी गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 'भाजपा का लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है। ये लोग सत्ता के दुरुपयोग से पंचायत और नगर निकाय प्रणाली को पंगु बनाकर केवल तानाशाही शासन करना चाहते हैं।'
उन्होंने कहा कि 'प्रदेश में 1 साल से पंचायत और निकाय चुनाव लंबित है। संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार को 6 महीने में चुनाव कराने का आदेश दिया था। हमें आशा थी कि हाईकोर्ट की डबल बेंच भी अपना निर्णय सरकार को तुरंत चुनाव कराने का देगी। लेकिन आदेश जनता अपेक्षा व भावना के विपरित रहा।'
डोटासरा ने आगे कहा कि 'संविधान विरोधी भाजपा सरकार ने पंचायत व निकाय चुनाव टालने के लिए हाईकोर्ट की डबल बेंच से 6 महीने में चुनाव के आदेश पर रोक लगवा दी। ये सरासर लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंटने के समान है। ये ना सिर्फ पंचायती राज व्यवस्था के प्रावधानों की अवहेलना है, बल्कि स्वशासन और जनता की सरकार के अधिकार का दमन है।'
उन्होंने कहा कि 'जब स्वयं राज्य निर्वाचन आयोग "एक राज्य, एक चुनाव" को अव्यवहारिक बता चुका है, तो फिर भाजपा सरकार माननीय कोर्ट को क्यों गुमराह करने में लगी है? ये समझ से परे है कि आखिर भाजपा चुनाव से क्यों भाग रही है, मुख्यमंत्री को ऐसी क्या घबराहट है?'
गौरतलब है कि सोमवार को जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इसके अलावा सरकार के प्रशासकों को हटाने के आदेश पर भी रोक लगा दी थी।
दरअसल, 18 अगस्त को राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 18 अगस्त 2025 को अपने आदेश में राज्य सरकार को ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव जल्द कराने का निर्देश दिया था। इस आदेश में यह भी कहा गया था कि जिन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके लिए शीघ्र चुनाव कराए जाएं।