
पत्रिका फाइल फोटो
Rajasthan Politics: राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पंचायत और निकाय चुनाव शीघ्र कराने के एकलपीठ के 18 अगस्त 2025 के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इसके अलावा सरकार के प्रशासकों को हटाने के आदेश पर भी रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता कपिल प्रकाश माथुर और राजेन्द्र प्रसाद ने पक्ष रखा। इस मामले में खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की और अंतरिम रोक लगाने का निर्णय लिया।
दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 18 अगस्त 2025 को अपने आदेश में राज्य सरकार को ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव जल्द कराने का निर्देश दिया था। इस आदेश में यह भी कहा गया था कि जिन ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके लिए शीघ्र चुनाव कराए जाएं। साथ ही, एकलपीठ ने याचिका दायर करने वाले पूर्व सरपंचों को प्रशासक के रूप में बहाल करने का आदेश दिया था।
इस फैसले को राज्य सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी, जिसमें सरकार ने तर्क दिया कि याचिका दायर करने वालों को प्रशासक बने रहने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। सरकार ने एकलपीठ के आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसके बाद खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी।
राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान पंचायत चुनाव तीन चरणों में हुए थे, जिसके कारण विभिन्न पंचायतों का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा हो रहा है। इस स्थिति को व्यवस्थित करने के लिए सरकार सभी पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार ने पूर्व सरपंचों को अस्थाई प्रशासक नियुक्त किया था।
हालांकि, कुछ पूर्व सरपंचों को उनके कार्यकाल के दौरान प्राप्त शिकायतों के आधार पर हटा दिया गया था। सरकार का कहना है कि इन पूर्व सरपंचों को हटाने से उन्हें कोई विधिक नुकसान नहीं हुआ है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला बाद में सुनाने का निर्णय लिया है। इससे पहले, एक अन्य खंडपीठ ने इस अपील पर शुक्रवार को सुनवाई टाल दी थी।
Updated on:
25 Aug 2025 05:31 pm
Published on:
25 Aug 2025 04:47 pm
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