Rajasthan Second Phase Voting : प्रदेश में दूसरे चरण की 13 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को हुए मतदान में राजनीतिक दलों को थोड़ी राहत दी। पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में मतदान अधिक हुआ।
जयपुर. प्रदेश में दूसरे चरण की 13 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को हुए मतदान में राजनीतिक दलों को थोड़ी राहत दी। पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में मतदान अधिक हुआ। निर्वाचन विभाग के साथ ही राजनीतिक दलों ने भी मतदान बढ़ाने के लिए प्रयास किए थे। हालांकि तेज गर्मी के चलते दोपहर के समय ज्यादातर मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भीड़ नजर नहीं आई। लेकिन कई जगह मौसम में बदलाव के बाद वोटर निकले। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं में क्रेज नजर आया। मतदान के बाद लोगों ने सेल्फी लेकर भी खुशी का इजहार किया।
मतदानपिछली बार का रिकॉर्ड तोड़ता नजर आया। इस ट्रेंड को देखते हुए भाजपा उत्साहित दिखी। कोटा दक्षिण, लाडपुरा, सांगोद, रामगंजमंडी एवं बूंदी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा तो कोटा उत्तर, केशवरायपाटन एवं पीपल्दा में कांग्रेस बढ़त देख रही है। दोपहर में बारिश होने से मौसम भी बेहतर हो गया जिससे मतदान प्रतिशत बढ़ गया। पॉश कॉलोनियों में वोटिंग धीमी रफ्तार से चलती रही पर बस्तियों एवं मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में दोपहर में भी कतारे रहीं। इसी तरह कई अन्य बूथों पर भी लोगों का जमघट लगा रहा।
झालावाड़और बारां जिले में सुबह हल्की बारिश के कारण मौसम में ठंडक हो गई। इससे लोगों को गर्मी से बड़ी राहत मिली। इस कारण सुबह से ही मतदान का प्रतिशत अच्छा रहा और लगातार बढ़ता रहा। हालांकि दोपहर में धूप निकलने के कारण मतदान की रफ्तार थोड़ी सुस्त रही। लोग कम ही संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचे। पिछले 9 लोकसभा चुनावों में अजेय भाजपा इस बार भी मतदान से खासी उत्साहित है। वहीं, कांग्रेस को भी इस बार खाता खुलने की उम्मीद है।
कमवोटिंग ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है। भाजपा के लिए सेफ सीट माने जाने वाले उदयपुर में शहरी क्षेत्रों में वोटिंग कम रही। मतदान के दौरान उदयपुर शहरी व ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भाजपा मजबूत दिखाई दी। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा के प्रभाव वाले झाड़ोल विधानसभा क्षेत्र में मतदान को लेकर उत्साह देखा गया, यहां सबसे अधिक वोट पड़े। गोगूंदा व खेरवाड़ा में कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर रही। वहीं कई क्षेत्रों में कांटे की टक्कर बताई जा रही है।
यहसीट त्रिकोणीय संघर्ष में भाजपा के महेंद्रजीत सिंह मालवीया, बीएपी के राजकुमार रोत एवं कांग्रेस के अरविंद डामोर के बीच फंसी है, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा व बीएपी के बीच देखा जा रहा है। सियासी पारे ने प्रत्याशियों के पसीने भी छुड़ाए, लेकिन मतदान दिवस पर मौसम पलटा है, हवाएं चली और कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी हुई। इसके बाद मतदान केन्द्रों पर कतार बढ़ गई। अच्छे मतदान के साथ जनता की जय हुई। यहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मालवीया की साख दांव पर है।
मतदाताओंके उत्साह ने त्रिकोणीय संघर्ष को और दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी की टक्कर के आसार ज्यादा है। भाजपा भी एक बार फिर जीत की आस में मैदान में है। जातिगत समीकरण को देखें तो जाट, राजपूत और मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका पर सभी की नजर है। इसमें कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय तीनों प्रत्याशी अपना-अपना दावा कर रहे हैं। निर्दलीय उम्मीदवार के साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं का बड़ा रुझान अभी स्पष्ट नहीं हुुआ है। यह 50% से ज्यादा होता है तो फिर कड़ी टक्कर रह सकती है।
यहांशुरुआत में मतदाताओं में रुझान रहा, लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते मतदान प्रतिशत में कमी आई। दोपहर की तपिश कम होते ही लोगों का उत्साह बना। राजनीतिक रणनीतिकारों में चर्चा है कि यहां जिस तरह का मतदान प्रतिशत रहा है, उसके अनुसार गुणा-भाग की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। फिर भी शाम होते-होते भाजपा-कांग्रेस की चुनाव प्रबंधन टीम की बैठकों का दौर शुरू हो गया। मतदान के दौरान कई बूथों पर चहल-पहल कम नजर आई जबकि भाजपा के बूथों पर भीड़ रही।
यहांमुकाबला कांटे का हो गया है। यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का मुकाबला कांग्रेस के उदयलाल आंजना से है। पिछले चुनाव में भाजपा पौने छह लाख से अधिक मतों से आगे रही थी। आंजना इस अंतर को कुछ हद तक पाटते तो दिख रहे हैं। हालांकि, कड़े मुकाबले में जोशी बाजी मार सकते हैं। हालांकि, ईवीएम खुलने के बाद स्थिति साफ होगी। विधानसभा क्षेत्र में एकमात्र मावली में कांग्रेस के विधायक हैं। बाकी सातों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
लोकसभासीट के 8 विस क्षेत्रों में पिछली बार के मुकाबले मतदान 6.62% घट गया है। ऐसे में दोनों दल नतीजों को लेकर बेचैन दिख रहे हैं। हालांकि भाजपा उम्मीदवार महिमा कुमारी के बूथों की संख्या कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा नजर आई, लेकिन मतदान प्रतिशत गिरने से सत्ताधारी दल के आक्रामक चुनावी अभियान को झटका भी लगा है। पिछली बार इस सीट पर भाजपा की जीत साढ़े पांच लाख वोटों की थी। इस अंतर को पाटकर कांग्रेस उम्मीदवार दामोदर गुर्जर के लिए पहली राजनीतिक जीत हासिल करना बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
शहरीक्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आरएसएस के स्वयंसेवक व विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता सक्रिय रहे। जाट बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता तो किशनगढ़ व मसूदा विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांवों में कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साहित नजर आए। भाजपा के बूथों पर रौनक नजर आई। कार्यकर्ताओं की टोली मतदाताओं को वोटिंग के लिए लाती नजर आई। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत से इस बार मतदान कम हुआ है। इससे जीत का अंतर कम होने का अनुमान है।