जयपुर

राजस्थान में स्लीप डिवोर्स का बढ़ता नया ट्रेंड, यह कानूनी तलाक नहीं- तो क्या करते हैं पति-पत्नी, जानें

Rajasthan News : राजस्थान में स्लीप डिवोर्स का बढ़ता नया ट्रेंड। जानें स्लीप डिवोर्स क्या है?

2 min read
प्रतीकात्मक फोटो

Rajasthan News : खर्राटे, स्क्रीन की लत और अलग सोने की आदत ने अब "स्लीप डिवोर्स" को एक नया चलन बना दिया है। यह कानूनी तलाक नहीं है, लेकिन इसमें दंपती बेहतर नींद के लिए अलग-अलग कमरे में सोने का फैसला करते हैं। रेसमेड के 2025 ग्लोबल स्लीप सर्वे के अनुसार, भारत में 78 फीसद दंपती नियमित अंतराल पर स्लीप डिवोर्स ले रहे हैं। चीन में यह आंकड़ा 67 फीसद और द. कोरिया में 65 फीसद तक पहुंच गया है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्लीप डिवोर्स का मुख्य कारण तनाव, साथी के खर्राटे, असमान नींद शेड्यूल और सोने से पहले स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग है। हालांकि, यह अस्थायी तौर पर नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, लेकिन लंबे समय तक ऐसा करने से रिश्तों में भावनात्मक दूरी बढ़ सकती है।

इन कारणों से साथ सोने में आ रही है परेशानी

खर्राटे और तेज सांस - 32 फीसद
बेचैनी - 12 फीसद
असमान नींद - 10 फीसद
स्क्रीन का उपयोग - 08 फीसद

1- साथी का बहुत ज्यादा हिलना-डुलना।

2- एक को लाइट जलाकर सोना है और दूसरे को अंधेरे में।

63 फीसद अकेले सोने पर पाते हैं सुकून

हिल्टन की 2025 ट्रेंड्स रिपोर्ट के अनुसार, 63 फीसद लोग अकेले सोने पर बेहतर नींद पाते हैं। वहीं, 24 फीसद विवाहित जोड़े कभी-कभी अलग सोते हैं और 19 फीसद हमेशा अलग सोना पसंद करते हैं। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि छुट्टियों के दौरान 37 फीसद लोग अपने पार्टनर से अलग सोना पसंद करते हैं।

नींद में खलल आने से लिया फैसला

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मदीप सिंह के अनुसार, जयपुर के खातीपुरा निवासी एक दंपत्ति ने स्लीप डिवोर्स का फैसला किया। पत्नी देर रात तक काम करती थीं, जबकि पति को सुबह जल्दी ऑफिस जाना होता था। नींद में बार-बार बाधा आने के कारण दोनों ने अलग-अलग कमरे में सोने का निर्णय लिया, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

Published on:
28 Mar 2025 09:12 am
Also Read
View All

अगली खबर