जयपुर

अब गुजरात और पंजाब से पानी राजस्थान लाने की तैयारी, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सहित कई जिलों की बदल जाएगी तस्वीर

Rajasthan News: मध्यप्रदेश के साथ ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) और हरियाणा से यमुना जल बंटवारे का विवाद सुलझने के बाद अब राजस्थान सरकार ने पंजाब और गुजरात से जुड़े पुराने जल समझौतों पर नजर टिका दी है।

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Jul 27, 2025
पत्रिका फाइल फोटो

जयपुर। मध्यप्रदेश के साथ ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) और हरियाणा से यमुना जल बंटवारे का विवाद सुलझने के बाद अब राजस्थान सरकार ने पंजाब और गुजरात से जुड़े पुराने जल समझौतों पर नजर टिका दी है। गुजरात से 40 टीएमसी और पंजाब से रावी-व्यास की 0.60 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी की आपूर्ति होनी है, लेकिन वर्षों पुराने इन करारों के बावजूद राजस्थान अब तक अपने हिस्से का पानी नहीं ले पाया है।

अब राज्य सरकार ने जलशक्ति मंत्रालय और केन्द्रीय जल आयोग को जल समझौते से जुड़े बाकी मामलों को सुलझाने की फिर जरूरत जताई है। इसके लिए विभिन्न संयुक्त बोर्डों में भी बात रखी गई है। राज्य अपना-अपना पक्ष रख चुके हैं।

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पंजाब सरकार: रावी और व्यास का पानी

-वर्ष 1981 में रावी और व्यास नदी से पानी देने के लिए राजस्थान और पंजाब सरकार के बीच समझौता हुआ। इसमें हरियाणा सरकार भी शामिल है।
-राजस्थान को दोनों नदियों के जरिए 8.60 एमएएफ पानी मिलना था। इसमें से अभी 8 एमएएफ पानी मिल रहा है, लेकिन 0.60 एमएएफ हिस्सा अब तक नहीं दिया गया।
-पश्चिमी राजस्थान के जिले प्रभावित।

अटकने के तर्क

राजस्थान का दावा है कि समझौते के तहत पंजाब को 0.60 एमएएफ पानी तक ही उपयोग करने की अनुमति थी, जब तक राजस्थान पूरे पानी का उपयोग करने के लिए सक्षम न हो जाए। राजस्थान कई वर्ष पहले ही इसकी जरूरत जता चुका है। जबकि, पंजाब सरकार का तर्क है कि रावी और व्यास दोनों नदियों में इतना पानी नहीं है कि बाकी हिस्से का पानी राजस्थान को दें।

गुजरात: आना है माही का पानी

राजस्थान व गुजरात सरकार के मध्य 1966 को समझौता हुआ था। इसके तहत गुजरात सरकार से माही बांध निर्माण में 55 फीसदी लागत देने व 40 टीएमसी पानी लेने पर सहमति बनी। जब नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले में पहुंच जाएगा, तब तक गुजरात राजस्थान के माही बांध का पानी उपयोग में नहीं लेगा और उस पानी का उपयोग राजस्थान में ही होगा। वर्षों पहले नर्मदा का पानी खेड़ा तक पहुंच चुका है। इसके बावजूद समझौते की पालना नहीं हो रही है।

इन्हें होगा फायदा: बांसवाड़ा-डूंगरपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई सुविधा की तस्वीर ही बदल जाएगी।

इनका कहना है

राजस्थान में पानी लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जलशक्ति मंत्रालय से भी बातचीत चल रही है। यह भी आकलन कर रहे हैं कि बारिश का जो अधिशेष पानी कितना है, जिसे लिफ्ट करके लाया जा सकता है।
-सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री

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