Shab-e-Barat 2025: शब-ए-बारात के दिन लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते है।
मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए शब-ए-बारात काफी खास होती है। यह पाक माह रमजान से करीब 14 दिन पहले मनाया जाता है। शब-ए-बारात के दिन लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते है। इसके साथ ही अगले दिन रोजा रखते हैं।
इसके अलावा शब-ए-बारात की रात को नमाज अदा करने के साथ-साथ अपने पूर्वजों की कब्रों के पास जाकर मगफिरत करते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, हर साल शाबान महीने की 15वीं तारीख को शब ए- बारात मनाया जाता है। शब-ए-बारात एक फारसी शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है रात और बारात यानी बरी करना यानी रात का बरी होना।
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, शब-ए -बारात शाबान महीने की 14वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को मनाया जाता है। ये रात 14 की रात को शुरू होती है और 15 शाबान भोर को समाप्त हो जाती है। इस साल शब-ए-बारात 13 फरवरी को मनाई जाएगी।
मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए शब-ए-बारात काफी खास रात होती है। इस दिन दान आदि करने के साथ अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इसके साथ ही रात को इंतकाल हो चुके पूर्वजों की कब्रों के पास जाकर उनकी मगफिरत की दुआ मांगते हैं। इसके अलावा इस दिन नमाज अदा करने के साथ कुरान पड़ते है और अगले दिन रोजा रखते हैं।
इस्लाम धर्म के समुदाय के लिए शब-ए-बारात काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि ये रात उन खास रातों में एक होती है जिसमें अल्लाह अपने बंदों की हर एक दुआ को जरूर कबूल करते हैं। इसी के कारण इस दिन हर कोई अपने गुनाहों की माफी मांगता है। इसके साथ ही इंतकाल फरमा चुके अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर भी लोग मगफिरत करते हैं।
पैगबर-ए-इस्लाम का फरमान है रजब अल्लाह का महीना है और शाबान मेरा महीना है। रमजान मेरी उम्मत का महीना है। रमजान शरीफ की तरह ही माह-ए-शाबान को भी बेहद पाक और मुबारक महीना माना जाता है। इस रात में इबादत करने वाले के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। फरिश्ते रहमत के साथ जमीन पर उतरते हैं। इस रात में हर हिकमत वाला काम बांटा जाता है। जिंदा होने व मरने वालों की फेहरिस्त बनती है। लोगों के अमाल रब की बारगाह में पेश होते हैं और रिज्क उतारे जाते हैं।