70 से 75 फीसदी मरीज खांसी, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा जैसी समस्याओं से जूझ रहे
जयपुर. दवा लेने के बाद भी खांसी नहीं थम रही। सांस लेने में तकलीफ है, जल्दी हांफने लगता हूं। ऐसा लगता है जैसे दम घुट रहा है। दो बार डॉक्टर बदल चुका, लेकिन राहत नहीं मिली। राजधानी के सरकारी और निजी अस्पतालों की मेडिसिन ओपीडी में इन दिनों ज्यादातर मरीजों की यही शिकायत है। ओपीडी में आने वाले 70 से 75 फीसदी मरीज खांसी, एलर्जी, छाती में जकड़न, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई मरीज आइसीयू तक पहुंच रहे हैं और कुछ को वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या सीधे तौर पर प्रदूषण और मौसम में बदलाव से जुड़ी है। तापमान स्थिर होने पर ही राहत मिलने की उम्मीद है। डॉक्टरों की सलाह है कि मरीज दवा का पूरा कोर्स लें और बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा न बदलें। 20 फीसदी बढ़े नए मरीज प्रदूषण का असर तुरंत खत्म नहीं होता, बल्कि कई दिन तक स्वास्थ्य पर बना रहता है।
नतीजतन एसएमएस, कांवटिया, टीबी अस्पताल, जयपुरिया समेत अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों की मेडिसिन ओपीडी में सांस संबंधी मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे मामलों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं नए मरीजों की संख्या भी करीब 20 फीसदी बढ़ी है।
दिवाली के बाद से प्रदूषण बढ़ा है और स्तर अब भी काफी ऊंचा है। साथ ही तापमान में उतार-चढ़ाव से टीबी, अस्थमा, सांस, किडनी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है। ऐसे में फरवरी तक गंभीर रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
डॉ. आशीष कुमार सिंह, सह-आचार्य, राजकीय श्वसन रोग संस्थान
ओपीडी में सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी, एलर्जी और अस्थमा जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इनमें हर उम्र के लोग शामिल हैं, लेकिन बुजुर्गों की संख्या अधिक है। करीब दस फीसदी मरीजों में गंभीर निमोनिया के लक्षण पाए गए हैं। बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
डॉ. अजीत सिंह, सीनियर फिजिशियन, एसएमएस अस्पताल
सावधानी बरतें
ठंडे खान-पान से परहेज करें।
धूल और धुएं से बचें।
भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
सुबह और शाम के समय व्यायाम न करें।
बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें।
बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
खुले में कचरा न जलाएं।