cyber police action; पुलिस का कहना है कि जल्द ही मामले में वेबसाइट बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा। गौरतलब है कि इस वेबसाइट पर फर्जी तरीके से कई राज्यों के राज्यपाल, जज, आईएएस , आईपीएस, नेता, अभिनेता और कई शख्सियतों को पुरस्कार चयन समिति में शामिल बताया गया था।
Fake Website Takedown: जयपुर. पुरस्कार के नाम पर लोगों के साथ साइबर ठगी करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुुलिस कार्रवाई के बाद वेबसाइट को बंद कर दिया गया है, और देहरादून व लखनऊ के साइबर थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। दोनों राज्यों की साइबर सेल जांच कर रही है, और ठगों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जल्द ही मामले में वेबसाइट बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।
गौरतलब है कि इस वेबसाइट पर फर्जी तरीके से कई राज्यों के राज्यपाल, जज, आईएएस , आईपीएस, नेता, अभिनेता और कई शख्सियतों को पुरस्कार चयन समिति में शामिल बताया गया था।
राजस्थान पत्रिका की खबर के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस ने सक्रियता दिखाई। साइबर ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के नाम पर ठगी की, जिसमें उत्तराखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के साथ ही सिक्कम के पूर्व राज्यपाल, जज, सांसद, आईएएस, आईपीएस अधिकारियों और खेल हस्तियों के नाम और फोटो का दुरुपयोग किया गया। वेबसाइट में दावा किया गया था कि 28 अगस्त 2025 को दिल्ली में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार और मुंबई के ताज पैलेस होटल में अंतरराष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025 का आयोजन होगा।
पत्रिका ने 24 जुलाई 2025 को "राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025 के नाम पर ठगी!" शीर्षक से खबर प्रकाशित की, जिसके बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के राजभवनों ने संज्ञान लिया। देहरादून और लखनऊ के साइबर थानों में एफआईआर दर्ज की गई। अब उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की साइबर सेल मामले की जांच कर रही है। वेबसाइट को बंद कर दिया गया है। पत्रिका के पास ठगों और संबंधित लोगों से बातचीत के सबूत हैं। पीआईबी के फैक्ट-चेक विंग ने भी स्पष्ट किया कि यह वेबसाइट युवा मामले और खेल मंत्रालय से संबंधित नहीं है, और यह एक धोखाधड़ी योजना है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही मामले में वेबसाइट बनाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।
देहरादून पुलिस ने एफआईआर में बताया कि वेबसाइट को सरकारी मंत्रालय से संबंधित होने के बाद भी एनआईसी पर होस्ट नहीं है। ईमेल भी एनआईसी के नहीं हैं। साथ ही यह भी बताया कि यह वेबसाइट साइबर ठगों द्वारा धोखाधड़ी की मंशा से अनुचित लाभ अर्जित करने की नियत से बनाई गई है। यह वेबसाइट एक व्हाटसअप ऐपीआई से जुड़ी हुई थी।
लखनऊ साइबर पुलिस थाने में राज्यपाल के अनुसचिव संजय दीक्षित ने एफआईआर दर्ज कर बताया कि सुशील कुमार नाम का अज्ञात व्यक्ति इस वेबसाइट का संचालन कर रहा है। जिसे पीआईबी फैक्ट चैक ने फर्जी बताया है।